सबगुरु न्यूज-सिरोही। जिला परिषद और पंचायत समिति के सदस्यों के चुनावों का परिणाम शुक्रवार को जारी होगा। इसे लेकर जिले में सबसे ज्यादा उत्साह जिला परिषद सदस्यों को लेकर है। जिला प्रमुख का पद इस बार सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। ऐसे में सबसे ज्यादा नजर जिले के चार वार्डों पर है।
इन पांच वार्डों के विजेताओं को ही जिला प्रमुख का दावेदार माना जा रहा है। इन वार्डों में प्रथम चरण का रेवदर तहसील का वार्ड संख्या 11, दूसरे चरण में पिण्डवाड़ा तहसील का वार्ड संख्या 18 और 19 तथा सिरोही तहसील का वार्ड संख्या 2 और 5 शामिल है। सबसे बड़ी परीक्षा वार्ड संख्या 5 और वार्ड संख्या 11 में हैं। वार्ड पांच भाजपा जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित और भाजपा के उनकी खिलाफत वाले समूहों की परीक्षा है। यहां कहने को प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के जगदीश पुरोहित थे, लेकिन असल जंग नारायण पुरोहित बनाम शेष भाजपा में थी।
इसी तरह वार्ड संख्या 11 में कांग्रेस (आई-संयम) और कांग्रेस(आई-शेष) के बीच का संघर्ष है। यहां पर भी कांग्रेस प्रत्याशी हरीश चौधरी का मुकाबला भाजपा प्रत्याशी भावाराम से था, लेकिन अंडरग्राउण्ड असली जंग कांग्रेस बनाम कांग्रेस में ही थी। वैसे इन पांच सीटों का परिणाम इस बात पर भी निर्भर करेगा कि इन वार्डों में पडऩे वाले पंचायत समिति वार्डों के प्रत्याशियों ने कितनी मजबूती से चुनाव लड़ा है।
-यहां माली वोट बैंकों पर कांंग्रेस की आशा टिकी
वार्ड संख्या 2 में भाजपा के दिलीपसिंह मांडणी का मुकाबला कांग्रेस के अचलाराम माली के साथ था। इस वार्ड में पहले जावाल ग्राम पंचायत शामिल थी। सिरोही में ये गांव भाजपा का गढ़ माना जाता है। इसे गत वर्ष नगर पालिका के रूप में अधिसूचित कर दिया था। न्यायालय में विवाद के बाद इसी वर्ष यह इलाका वार्ड संख्या 2 से बाहर हुआ।
इस वार्ड में कांग्रेस की सबसे बड़ी आशा का केन्द्र माली वोट बैंक हैं। चुनाव के दो रात पहले इस क्षेत्र में हुई दबंगई की चर्चा और नाराजगी मतदान वाले दिन लोगों की जुबान पर थी। माली मतों और दबंगई के असर पर इस वार्ड का परिणाम टिका है।
– प्रवासी आए नहीं स्थानीय पर आस
वार्ड संख्या पांच सबसे हॉट सीट मानी जा रही है। इसी वार्ड पर अपने भाई अर्जुन पुरोहित को खड़ा करवाने और उन्हें जिला प्रमुख का मुख्य दावेदार के रूप में सामने लाने पर जिला भाजपा में दो फाड़ हुए। नारायण पुरोहित बनाम शेष भाजपा के रूप में जिला भाजपा बंटी दिखी। यूं नेता प्रचार के लिए सभी जगह गए। तो यहां भी गए, लेकिन भीतरघात की यहां पर सबसे अधिक आशंका है।
भाजपा के स्थानीय प्रवासी वोटों के इस चुनाव में यहां नहीं आने के कारण भाजपा की आस भील और अनुसूचित जाति के अन्य मतदाताओं पर टिकी है। कांग्रेस ने अर्जुन पुरोहित को मात देने के लिए जगदीश पुरोहित को उतारा है। स्थानीय विधायक संयम लोढ़ा का भाजपा और आरएसएस से जुड़े लोगों पर पिछले दो सालों में उड़ेले गए कथित अतिशय स्नेह का लिटमस टेस्ट भी इसी वार्ड में होना है।
वार्ड संख्या पांच में जो गांव पड़ते हैं जगदीश पुरोहित उसी परगने के हैं, वहीं अर्जुन पुरोहित दूसरे परगने के। ऐसे में पुरोहित समाज का परगना वाद चला तो भाजपा के कोर वोट बैंक में महत्वपूर्ण सेंधमारी होने की आशंका है। वैसे ये वार्ड पिछले तीन चुनावों से भाजपा के लिए सुरक्षित माना जाता है, लेकिन भाजपा की जीत भी इस बात पर ज्यादा निर्भर है कि अपने प्रवास से गांव में लौट चुके भील समाज के वोट बैंक में वो कितनी सेंधमारी कर पाती है।
-ब्रह्माकुमारी के वोट होंगे विनिंग फैक्टर
वार्ड संख्या 11 में संयम लोढ़ा के करीबी माने जाने वाले हरीश चौधरी कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव लड़ रहे हैं। ये आरोप भी लगे है कि इस वार्ड में हरीश चौधरी का टिकिट कटवाने के लिए नीरज डांगी समेत कांग्रेस के अन्य गुट लगे रहेे। टिकिट वितरण को लेकर कांग्रेस का सबसे ज्यादा विवादित वार्ड ये ही रहा।
अंदरखाने चर्चा ये है कि चौधरी का टिकिट कटवाने के लिए डांगी गुट दिल्ली से जुगत लगवा रहा था। वहीं संयम लोढ़ा जयपुर से। दूरी कम होने के कारण जयपुर जीता। चौधरी को चरण बद्ध चुनाव होने से इस वार्ड में कांग्रेस के शेष असंतुष्टों को चौधरी की कारसेवा करने का मौका मिला। इस वार्ड में भाजपा ने भावाराम गरासिया को टिकिट दिया। ये गरासिया बैल्ट है। इसमें वोटों को जातीय धु्रवीकरण का कयास लगाया जा रहा है।
लेकिन, इस वार्ड मे विनिंग फैक्टर ब्रह्माकुमारी संस्थान के वोट रहेंगे। ये वोट जहां जीत वहां। अब पहले से ही वन सेंचुरी से विवाद में घिरे ब्रह्माकुमारी किसे चुनती है ये कल के परिणाम में दिख जाएगा। इसी वार्ड रेवदर व आबूरोड पंचायत समिति के परिणामों से कांग्रेस के रेवदर से भाजपा के प्रत्याशी नीरज डांगी की साख भी तय होगी। डांगी अपने विधानसभा क्षेत्र में पडऩे वाली आबूरोड नगर पालिका के चुनावों में भी करामात नहीं दिखा पाए थे। यहां कांग्रेस औंधे मुंह गिरी थी।
-दो मुख्य प्रतिद्वंद्वी आमने सामने
पिण्डवाड़ा पंचायत समिति का हिस्सा जिला परिषद का वार्ड संख्या 19 में दो पुराने प्रतिद्वंद्वी एक दूसरे के सामने खड़े हैं। कांग्रेस से पूर्व जिला प्रमुख चंदनसिंह तो भाजपा से किरण पुरोहित मैदान में हैं। किरण पुरोहित वही शख्स हैं जिन्होंने पहली बार पूर्व जिला प्रमुख चंदनसिंह देवड़ा द्वारा कथित रूप से अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल करके डीएफसीसी परियोजना में अधिकृत अपनी संपत्ति की डीएलसी दरें बढ़वाने का आरोप लगाया था।
इस मामले में जांच होने के बाद गलत तरीके से डीएलसी दरें बढ़ाने की बात सामने भी आई। पूर्व की प्रतिद्वंद्वता को दोनों चुनाव मैदान में किस तरह से इस्तेमाल कर पाए हैं, इसका भी परिणाम शनिवार को आएगा। इस वार्ड में रेबारी मतदाता सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले हैं। ऑनर किलींग के एक मामले में यदि रेबारी मतदाताओं की विमुखता रहती है तो कांग्रेस के लिए यहां पर संकट पैदा हो सकता है। वैसे कांग्रेस प्रत्याशी इसी वार्ड के वीरवाड़ा गांव के ही हैं।
-रेबारी मतदाता यहां भी महत्वपूर्ण
वार्ड संख्या 18 में भी रेबारी मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। इस वार्ड से भाजपा प्रत्याशी लुम्बाराम चौधरी और कांग्रेस के जगदीश देवासी एक दूसरे से सामने हैं। चौधरी जिला प्रमुख पद के मुख्य दावेदार माने जा रहे हैं। चौधरी को पहले भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले वार्ड संख्या 5 से चुनाव लडऩा था। लेकिन, वहां से भाजपा जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित के भाई ने दावेदारी कर दी तो उन्हें अपना पांव पीछे हटाना पड़ा।
यहां पर कलबी और रेबारी समाज के मतदाता प्रमुख हैं। दोनों ही भाजपा के कोर वोट बैंक हैं, लेकिन ओटाराम देवासी की सिरोही में हार के बाद देवासी मतदाताओं की गांठ अभी भी बंधी रही तो यहां उनकी भाजपा से विमुखता दिख सकती है। यहां पर भाजपा के प्रधान पद के दावेदार के पंचायत समिति चुनाव मजबूती से लडऩे का फायदा भाजपा को मिलने की आशंका भी जताई जा रही है।