अजमेर। राजस्थान मेें अजमेर की एक अदालत ने नगर निगम के उपमहापौर संपत सांखला को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चुनाव लड़ने का दोषी मानते हुए प्रसंज्ञान लिया है।
अपर मुख्य न्याय मजिस्ट्रेट संख्या तीन के न्यायाधीश राजेश मीणा ने आज अजमेर न्यायाधीश ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 व 200 के तहत सांखला के खिलाफ मामले में सुनवाई करने का निर्णय लिया है। इसकी अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।
प्रकरण में परिवादी व पूर्व सहवृत पार्षद सत्यनारायण गर्ग ने सांखला के खिलाफ एक वाद दायर कर कहा था कि वर्ष 2010 के चुनाव में सांखला ने पार्षद का चुनाव लड़ा था, तब वह दसवीं कक्षा उत्तीर्ण नहीं थे लेकिन नामांकन पत्र में शैक्षणिक योग्यता स्थानीय गुजराती स्कूल से दसवीं पास होना भर दिया गया।
इससे पहले 2015 में हुए निगम चुनाव में उन्होंने नामांकन पत्र में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से दसवीं उत्तीर्ण होने के प्रमाण पत्र की फोटो प्रस्तुत की थी। एक ही व्यक्ति के विषय में अलग अलग जानकारी को आधार बनाते हुए गर्ग ने एडवोकेट विवेक पाराशर के जरिए सांखला के विरुद्ध कूटरचित दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी करने तथा लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम के उल्लंघन का परिवाद पेश किया था।
जिसमें अदालत को यह भी बताया गया था कि उपमहापौर सांखला दसवीं पास तो है ही नहीं बल्कि दो बार नवीं कक्षा में भी फेल हो चुके है। मामले को गंभीर मानते हुए अदालत ने सिविल लाइंस थाना पुलिस को आदेश दिए थे कि सत्यता की जांच कर रिपोर्ट पेश करें।
गत बुधवार 18 जुलाई को थाना पुलिस ने अदालत में अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा कर दिया कि सांखला ने गुजराती स्कूल से कभी भी दसवीं कक्षा उत्तीर्ण नहीं की है बल्कि वे दो बार नवीं कक्षा में अनुत्तीर्ण रहे है।
पुलिस ने सांखला को भारतीय दंड संहिता 420, 467, 468, 471 व लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(क) व 125 (क) के तहत आरोपित किया। इसके बाद परिवादी गर्ग ने अदालत से पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर प्रसंज्ञान लेने की गुहार लगाई। अदालत ने आज प्रसंज्ञान लेकर मामले को आगे सुनवाई के लिए तय कर दिया।