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किसान हैं राष्ट्र निर्माता, उन्हें यह अहसास कराएं : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद - Sabguru News
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किसान हैं राष्ट्र निर्माता, उन्हें यह अहसास कराएं : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

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किसान हैं राष्ट्र निर्माता, उन्हें यह अहसास कराएं : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
Farmer Issues Must Be Resolved As Per Regional Needs : President Ramnath Kovind
Farmer Issues Must Be Resolved As Per Regional Needs : President Ramnath Kovind
Farmer Issues Must Be Resolved As Per Regional Needs : President Ramnath Kovind

लखनऊ/कानपुर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश के किसान आज राष्ट्र निर्माता की भूमिका में हैं। गांधी जी ने उन्हें अन्नदाता की संज्ञा दी थी। किसानों को यह अहसास कराए जाने की जरूरत है कि वे राष्ट्र निर्माता हैं। सरकारें इस दिशा में काम कर रही हैं।

राष्ट्रपति बुधवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कैलाश सभागार में सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चरल प्रोफेशनल्स की ओर से आयोजित ‘बदलते जलवायु में छोटे किसानों की टिकाऊ खेती’ कार्यक्रम में यह बात कही।

कोविंद ने कहा कि आज जवान देश के लिए कुर्बानी दे रहा है और किसान खेतों पर पसीना बहा रहा है। दोनों की भूमिका कहीं से अलग नहीं है। क्षेत्र और काम अलग हो सकते हैं, लेकिन दोनों का उद्देश्य एक ही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अनाज उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन खाद्यान्न को बचाना बड़ी चुनौती है। फूड प्रोसेसिंग की दिशा में काम करने की जरूरत है। आज मेगा फूड पार्क स्थापित किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि छोटे-छोटे फूड कलस्टर स्थापित किए जाएं, ताकि किसान वहां आसानी से अपना उत्पाद पहुंचा सकें। किसानों के लिए मार्केट, भंडारण की व्यापक व्यवस्था की जानी चाहिए।

कोविंद ने कहा कि महिलाओं को भी प्रोत्साहन मिलना चाहिए। कई राज्यों में खेती में महिलाएं अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। बस उन्हें खेती के फायदे और प्रोत्साहन की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा कि कानपुर मेरी जन्म और कर्मभूमि है। यहां की यादें अभी भी मेरे जेहन में ताजा है। यहां बार-बार आता रहूंगा।

सच तो यह है कि सरकारें किसानों की भलाई के लिए काम कर रही हैं, फिर भी ये अन्नदाता या राष्ट्र निर्माता हताशा में आत्महत्या करने के लिए विवश हैं। अकेले मध्यप्रदेश में एक साल के भीतर 150 से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ भी इस मामले में अपने पड़ोसी राज्य से पीछे नहीं है। मध्यप्रदेश में तो अन्नदाताओं पर गोली तक चला दी जाती है।