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किसान यूनियनों के भारत बंद का मिला-जुला रहा असर - Sabguru News
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किसान यूनियनों के भारत बंद का मिला-जुला रहा असर

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किसान यूनियनों के भारत बंद का मिला-जुला रहा असर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया जिसका जगह-जगह मिला-जुला असर देखने को मिला।

वहीं दिल्ली की सीमाओं पर लंबे समय से मोर्चा जमाए आंदोलनकारी किसानों ने राजधानी की ओर आने वाली सड़कों पर सुबह कुछ समय के लिए यातायात को अवरुद्ध किया जिससे कार्यालय और व्यापार के लिए दिल्ली आने-जाने वालों को जाम में फंसना पड़ा, दोपहर आते-आते यातायात सामान्य दिखने लगा था।

पिछले करीब 10 महीने से किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे 40 संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि भारत बंद को ऐतिहासिक और अभूतपूर्व समर्थन मिला। भारतवासी किसानों की जायज़ मांगों और कई क्षेत्रों में जनविरोधी नीतियों का विरोध पर मोदी सरकार के अड़ियल, अनुचित और अहंकारी रुख से त्रस्त हो गए हैं, इसलिए बंद का देशभर में व्यापक असर देखने को मिला।

इसके विपरीत सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि भारत बंद का कोई ख़ास असर देखने को नहीं मिला। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के 75 ज़िलों में से 10 जिलों में भी इसका प्रभाव नहीं रहा।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन ‘शोषण-कार सरकार’ को ये नहीं पसंद है। इसलिए आज भारत बंद है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह बहुत ही दुख की बात है कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जन्म दिवस पर आज किसानों को भारत बंद का आह्वान करना पड़ रहा है। किसानों को अपनी मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन करते हुए लगभग एक साल हो गया है। यह तो आजाद भारत है, आजाद भारत में भी अगर किसानों की नहीं सुनी जाएगी, तो फिर कहां सुनी जाएगी। किसानों की जितनी भी मांगे हैं, वे सभी जायज हैं।

उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही उनकी मांगों के पक्ष में रहे हैं। मैं केंद्र सरकार से अपील करता हूं कि जल्द से जल्द उनकी मांगे माने, ताकि किसान अपने घर जाएं और अपने काम पर लगें।

किसान मोर्चा ने कहा कि देश के अन्नदाताओं की उचित मांगों के लिए शांतिपूर्ण विरोध के 10 महीने पूरे होने पर किसान संगठनों द्वारा किए गए भारत बंद के आह्वान पर भारी सकारात्मक, शानदार और अभूतपूर्व जनसमर्थन मिला है। अधिकांश स्थानों पर समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी की।

संगठन ने एक बयान में दावा किया कि 23 से अधिक राज्यों से, कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना के बिना, बंद को शांतिपूर्ण ढंग से सफल किया और सहयोग के लिए जनता, कुछ राज्य सरकारों, सह-संगठनों और अन्य संगठनों और कई राजनीतिक दलों का धन्यवाद किया।

संयुक्त किसान मोर्चे ने कहा कि आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पांडिचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल से सैकड़ों स्थानों से बंद सफल होने की रिपोर्ट आई हैं।

अकेले पंजाब में 500 से अधिक स्थान पर लोग बंद को समर्थन देने और किसान आंदोलन में अपनी भागीदारी व्यक्त करने के लिए एकत्र हुए। इसी तरह, बंद में कई गैर-किसान संगठनों को किसानों के साथ एकजुटता में, और अपने स्वयं के मुद्दों को भी उठाते हुए देखा गया।

मोर्चे ने कहा कि केरल, पंजाब, हरियाणा, झारखंड और बिहार जैसे कुछ राज्यों में कुछ स्थानों पर बंद के कारण जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित रहा। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि दक्षिणी असम, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तराखंड के कई हिस्सों में यह स्थिति थी।

तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में कई विरोध प्रदर्शन हुए। राजस्थान और कर्नाटक की राजधानी जयपुर और बैंगलोर में, हजारों प्रदर्शनकारी शहरों में निकाली गई विरोध रैलियों में शामिल हुए।

संगठन ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लागू की जा रही भाजपा-आरएसएस की नीतियों, बुनियादी स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर अंकुश लगाने और अधिकांश नागरिकों के जीवनयापन को खतरे में डालने से पूरे देश में आक्रोश है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि बंद के आह्वान को पहले की तुलना में अधिक व्यापक जनसमर्थन मिला है। लगभग सभी विपक्षी राजनीतिक दलों ने बंद को बिना शर्त समर्थन दिया।

बंद को देखते हुए उत्तर-पश्चिम रेलवे ने सोमवार को हरियाणा, राजस्थान और पंजाब से गुजरने वाली 12 गाड़ियों के परिचालन को रद्द कर दिया था और 15 गाड़ियों की सेवाओं को आंशिक रूप से रद्द किया था। रविवार को अहमदाबाद से प्रस्थान करने वाली अहमदबाद-श्रीमाता वैष्णोदेवी कटरा स्पेशल 09415 गाड़ी रेवाड़ी-गुड़गांव-दिल्ली-पठानकोट होकर परिवर्तित मार्ग से चलाई गई।

राजधानी दिल्ली में कार्यालयों में उपस्थिति अन्य दिनों की तरह रही और मेट्रो में भी लोग पहले ही आ-जा रहे थे। दिल्ली के बाजार भी खुले हुए थे। व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स एसोसियेशन्स (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि बंद का व्यापारियों के कारोबार पर कोई असर नहीं रहा।

राज्यों से बंद के असर के बारे में मिली-जुली रिपोर्ट मिलीं। पंजाब और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास कई इलाकों में सड़कों पर बंद का सबसे ज्यादा असर देखा गया।