सोनीपत। तीन कृषि कानूनों को लेकर अपनी लड़ाई लड़ रहे किसानों ने मांगें मनवाने के उपरांत 380वें दिन शनिवार सुबह हरियाणा में सोनीपत के कुंडली बॉर्डर से वापसी शुरू कर दी।
वापसी से पहले किसानों ने धरना स्थल पर जमकर जश्न मनाया और जीत के नारों व धूम धड़ाके के बीच फतेह मार्च निकाला। पंजाब के किसानों को विजयी विदाई देने के लिए केजीपी-केएमपी के जीरो प्वाइंट पर भारी संख्या में स्थानीय ग्रामीणों के अलावा दूर-दूराज से भी किसान पहुंचे। इस दौरान किसानों पर पुष्प वर्षा की गई।
इससे पहले करीब दो घंटे तक खासकर युवा किसान डीजे व ढ़ोल की थाप पर जमकर थिरके। बाद में लंगर का आयोजन किया गया। ट्रैक्टर-ट्रालियों पर पूरा दिन अलग-अलग जत्थों में किसान रवाना होते रहे, जिसके कारण जीटी रोड पर रह-रहकर लंबा जाम लगा रहा। कुंडली बार्डर से लेकर गन्नौर तक ट्रैक्टर-ट्रालियों, कारों व जीपों के काफिले के कारण माहौल देखते ही बनता था।
मालूम हो कि नौ दिसबर को सरकार की ओर से मांगों को स्वीकार किए जाने के बारे में आधिकारिक पत्र मिलने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन को स्थगित कर दिया था। सीडीएस बिपिन रावत के निधन के चलते शुक्रवार को उनकी अंत्येष्टि तक जश्न को टाल दिया और तय किया था कि 11 दिसंबर, शनिवार को किसान जश्न मनाते हुए अपने घरों की ओर रवाना होंगे। किसानों की संख्या अधिक होने के कारण जाम से बचने के लिए उन्हें अलग-अलग जत्थों में रवाना करने का कार्यक्रम निर्धारित किया गया था।
तय कार्यक्रम के अनुसार पहले दिन शनिवार को सुबह साढ़े आठ बजे किसान अपने सामान लदे वाहनों के साथ जीटी रोड पर केजीपी-केएमपी जीरो प्वाइंट के पास जमा हो गए। सबसे पहले अरदास की गई। उसके बाद शुरू हुआ जश्न दौर। डीजे से लेकर ढोल की थाप पर पर युवा, बुजुर्ग, महिलाएं व बच्चे जमकर थिरके। इस बीच किसानों पर पुष्प वर्षा की गई।
खास बात यह रही कि किसानों ने अपने हर वाहन पर ठीक उसी तरह से किसानी झंडे लगाए हुए थे, जैसे आंदोलन की शुरूआत में यहां आते हुए लगाए थे। मगर इस बार जीत की नारेबाजी के चलते माहौल बदला-बदला रहा। किसानों ने किसान एकता व किसानों की जीत के जमकर नारे लगाए। यही नहीं, किसानों ने उन लोगों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने आंदोलन में उनका सहयोग कर किया। पिछले दो दिनों के दौरान स्थानीय लोगों का आभार जताने के लिए किसान उनके घरों तक भी गए।
धरनास्थल से किसानों ने अपनी झोंपडिय़ां व टेंट हटाने के बाद कूलर, हीटर, बचा राशन व अन्य सामान आसपास के मजदूरों व जरूरतमंदों को सौंपते हुए दरियादिली भी दिखाई। किसानों ने बताया कि उनके पास बहुत सा सामान ऐसा था जो वे वापस नहीं ले जाना चाहते थे और उन लोगों को देना चाहते थे जो सालभर से आंदोलन में उनके मददगार रहे हैं। इतना ही नहीं इन लोगों ने बॉर्डर पर किसानों के साथ लंगर में काम किया है। किसानों का कहना था कि अब उनका फर्ज बनता है कि उनकी कोई मदद की जाए। किसानों ने कुछ बर्तन व रोजमर्रा का सामान भी जरूरमंदों को दिया।
निहंग सिख भी किसानों के साथ ही रवाना हुए। इससे पहले उन्होंने कुंडली बॉर्डर पर घोड़ों के साथ जमकर करतब दिखाए। निहंग सिखों ने गुरू साहेब की सभी पालकियां अदब के साथ रवाना की और खुद उनके पीछे चले। इस दौरान गुरू साहेब के जयकारे भी लगाए गए। निहंग सिख जत्थेदारियों ने इस दौरान फतेह के नारे लगाए और अरदास भी की। जत्थेदार बाबा राजाराज सिंह ने बताया कि वे किसानों के साथ आए थे और अब किसानों के साथ ही रवाना हो रहे हैं। गुरू साहेब की पालकियों को कीर्तन पाठ के साथ दरबार साहेब में ले जाया जाएगा।