सोनीपत। हरियाणा में सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर तीन कृषि कानून को रद्द करने की मांग को लेकर धरनारत हजारों किसान शुक्रवार को केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच की बैठक के बेनतीजा रहने से थोड़े मायूस भले ही हों मगर धरनास्थल पर रोजाना हजारों की संख्या में नए किसान आने से उनके हौसलें बुलंद होते जा रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा समिति सदस्य डॉ. दर्शनपाल ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि आज की बैठक बेनतीजा रही, क्योंकि किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग करते रहे और सरकार के प्रतिनिधि इन कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव देते रहे। अब अगली बैठक 19 जनवरी को तय की गई है।
उन्होंने बताया कि किसान संगठनों द्वारा 13 और 14 जनवरी को विभिन्न त्योहारों पर कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने के आह्वान पर देश-दुनिया से आये भारी समर्थन से किसानों का उत्साह बढ़ा है। अब यह आंदोलन देशव्यापी और जनांदोलन बनता जा रहा है। हम उन तमाम संगठनों और व्यक्तियों का शुक्रिया अदा करते है जिन्होंने किसी भी रूप में किसान आंदोलन का समर्थन किया है।
डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि सरकार किसानों की मांग को सुनने की बजाय आंदोलन में शामिल लोगों को परेशान करने पर तुली है, जो समाजसेवी दिल्ली के लिए बसें भेज रहे है या शहीद किसानों को आर्थिक मदद कर रहे है, उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा बार-बार जांच के नाम पर परेशान किया जा रहा है। हम इस मानसिक प्रताड़ना का विरोध करते है।
उन्होंने कहा कि हम उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रस्तावित कमेटी के प्रस्ताव को पहले ही अस्वीकार कर चुके है। कमेटी के सदस्यों की सरकार की तरफ झुकाव की ख़बरें किसी से छुपी नही है। सदस्य भूपिंदर मान के कमेटी से बाहर होने के फैसले का हम स्वागत करते है। साथ ही हम अन्य सदस्यों से भी अपील करते है कि अंतरात्मा की आवाज़ सुनते हुए इन कृषि कानूनों की असलियत को स्वीकार करते हुए वे भी अपना विरोध प्रकट करें और कानूनों को सिरे से रद्द करने की मांग रखे।
समिति सदस्य ने कहा कि मुम्बई फ़ॉर फार्मर्स के बैनर तले महाराष्ट्र के किसान संगठन, अन्य प्रगतिशील संगठनों के साथ मिलकर 16 जनवरी को विशाल रैली और आम सभा का आयोजन कर रहे है। सयुंक्त किसान मोर्चा अपील करता है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग इसमें भाग ले।
सयुंक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित 26 जनवरी की किसान गणतंत्र परेड के संबंध में अनेक भ्रांतियां फैल रही है। हम यह स्पष्ट कर रहे है कि किसानों की इस परेड परेड को नुकसान पहुंचाने का हमारा कोई मकसद नहीं है। उन्होंने कहा 17 जनवरी को किसान संगठनों की बैठक में और 18 जनवरी को शीर्ष अदालत की सुनवाई के बाद ही इस परेड की विस्तृत योजना बताई जाएगी।
डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि मंत्रियों के समूह द्वारा यह दावा करना कि इन कानूनों को रद्द करने संबधी फैसला उच्चतम न्यायालय ले, हम इस बयान का विरोध करते है। लोकसभा भारत के लोगों द्वारा चुने गए नेताओं का सदन है। ये कानून भी संसद ने बनाये है और इनको रद्द भी ससंद करे, यही हमारी मांग है।