श्रीगंगानगर। केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों में संशोधन के भेजे गए मसौदे को किसान संगठनों की संयुक्त समन्वय समिति ने खारिज कर आंदोलन को देश भर में फैलाने का ऐलान किया है।
नई दिल्ली के कुंडली बॉर्डर पर किसान समन्वय समिति की आज शाम हुई बैठक में राजस्थान से ग्रामीण मजदूर किसान समिति जीकेएस श्रीगंगानगर के संयोजक रणजीतसिंह राजू और कानूनी सलाहकार हरविंदर सिंह गिल ने भी भाग लिया।
बैठक के पश्चात हरविंदरसिंह गिल ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए संशोधन मसौदे को गहन अध्ययन करने के पश्चात खारिज कर दिया गया। निर्णय लिया गया कि आंदोलन तब तक वापस नहीं लिया जाएगा, जब तक सरकार तीनों कृषि कानून वापस नहीं लेती। सरकार के अड़ियल रुख को देखते हुए समन्वय समिति ने अब आंदोलन को पूरे देश में फैलाने का निर्णय किया है।
उन्होंने बताया कि निर्णय किया गया कि जिओ की सिम और जिओ के सभी उत्पादों का बहिष्कार किया जाएगा। देशवासियों से आग्रह किया गया है कि वे जिओ सिम कार्ड को अन्य कंपनियों में पोर्ट करवाएं। जिओ कंपनी के सभी उत्पादों का बहिष्कार करें।
दूसरा कड़ा निर्णय बैठक में यह लिया गया कि 12 दिसंबर से देश के सभी मार्गों को टोल फ्री किया जाएगा। टोल नाकों पर धरने लगाए जाएंगे। आने-जाने वाहनों को टोल से मुक्त किया जाएगा। इसी दिन ही जयपुर-दिल्ली हाईवे को भी बंद किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा 14 दिसंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। यह प्रदर्शन पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में सिर्फ एक दिन 14 दिसंबर को ही किया जाएगा। बाकी देश के सभी जिला मुख्यालयों पर अनिश्चितकालीन धरने आरंभ किए जाएंगे।भाजपा के सांसदों और विधायकों और पार्टी के कार्यालयों का घेराव किया जाएगा।
इस बीच अखिल भारतीय किसान सभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और श्रीगंगानगर में माकपा के जिला सचिव श्योपतराम मेघवाल ने बताया कि अब तक आंदोलनकारियों और सरकार में छह दौर की वार्ता हो चुकी है। सरकार द्वारा संशोधन प्रस्ताव भेजने पर भी कोई रास्ता नहीं निकल सका। संशोधन प्रस्ताव को किसानों ने सिरे से खारिज कर दिया है।
किसान नेताओं का आरोप है कि संशोधन प्रस्ताव गोलमोल है। इसमें सरकार किसानों की भलाई की बात कह रही है लेकिन यह भलाई कैसे होगी या सरकार करेगी, इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। उन्होंने बताया कि आज की बैठक में आंदोलन को विस्तार देने के लिए चार महत्वपूर्ण फैसले किए गए हैं।