मुंबई। फादर स्टेन स्वामी का मंगलवार को बांद्रा में अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान बांद्रा के सेंट पीटर चर्च एक विशेष शोक सभा आयोजित की गई थी, लेकिन कोविड प्रोटोकॉल के कारण केवल 20 लोगों को शोक सभा में शामिल होने की अनुमति दी गई थी। उनके अंतिम संस्कार के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद था।
सोसाइटी ऑफ जीसस (एसजे) की अपील पर कई लोग यूट्यूब चैनल पर ऑनलाइन द्वारा शोक सभा में शामिल हुए। स्वामी का 84 वर्ष की उम्र में सोमवार को मुंबई के होली फेमिली अस्पताल में निधन हो गया था। वह कई बीमारियों से ग्रस्ति थे।
स्वामी ने स्वास्थ्य के आधार पर जमानत याचिका दायर की थी जिस पर मंगलवार को सुनवाई होनी थी लेकिन सुनवाई के एक दिन पूर्व ही उनका निधन हो गया। एनआईए ने उन्हें जनवरी 2018 के कोरेगांव-भीमा जाति दंगों के मामले में गिरफ्तार किया था।
फादर स्टेन स्वामी की मौत को लेकर विवाद निराधार
सरकार ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी फादर स्टेन स्वामी की मौत को लेकर विवाद को निराधार बताया है और कहा है कि उन्हें उनके किसी भी अधिकार से वंचित नहीं किया गया तथा उनकी चिकित्सा व्यवस्था अदालत की निगरानी में थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि हमने फादर स्टेन स्वामी के निधन से संबंधित रिपोर्टें देखीं है। उन्हें कानून की निर्धारित प्रक्रिया के तहत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार किया था।
चूंकि उन पर विशेष प्रकार के आरोप लगाए गए थे, इसलिए अदालतों में उनकी जमानत की अर्जियां खारिज कर दी गईं। भारत में सरकार कानून का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करती है, ना कि वैधानिक अधिकारों का प्रयोग करने वालों पर। ऐसी कोई भी कार्रवाई कानून के दायरे में ही होती है।
बागची ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी की खराब सेहत को देखते हुए बम्बई उच्च न्यायालय ने एक निजी अस्पताल में उनके उपचार की इजाजत दी थी जहां उन्हें 28 मई के बाद हर संभव चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई। उनकी चिकित्सा उपचार की अदालत द्वारा निगरानी की गई। चिकित्सकीय जटिलताओं के कारण उनका पांच जुलाई को निधन हो गया।
प्रवक्ता ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक व्यवस्था में एक स्वतंत्र न्याय पालिका तथा राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर मानवाधिकार आयोग, एक स्वतंत्र मीडिया और जीवंत एवं सजग समाज है जो अधिकारों के उल्लंघन की निगरानी करते हैं। भारत अपने सभी नागरिकों के मानवाधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है।