जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ ने राज्य सरकार के नगर निकाय प्रमुखों के चुनाव अप्रत्यक्ष रुप से कराए जाने के लिए गए फैसले को मूर्खतापूर्ण निर्णय करार देते हुए कहा है कि कांग्रेस सरकार ने आगामी चुनावों में हार के डर के कारण ऐसा कदम उठाया है।
सरकार के इस फैसले के बाद सराफ ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि केन्द्र सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 एवं 35ए हटाने का काम करने के बाद पूरे हिन्दुस्तान में राष्ट्रवाद की लहर चल पड़ी तथा कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में जनता के साथ किसानों का दस दिन में कर्जा माफ एवं शिक्षित बेरोजगारों को भत्ता देने का वादा करके इसे पूरा नहीं कर पाने के कारण अब कांग्रेस को लगने लगा है कि आगामी विधानसभा उपचुनाव, नगर निकाय तथा पंचायत चुनावों में उसकी लुटिया डूबने वाली है।
उन्होंने कहा कि इस हार के डर के कारण राज्य की कांग्रेस सरकार ने पूर्व में लिए गए अपने ही निर्णय को बदल दिया। उन्होंने कहा कि वह सरकार से पूछना चाहते हैं कि वह चुनाव में खरीद फरोख्त एवं बाड़ाबंदी का कारण बताकर जो पहले निर्णय लिया गया था उसे बदलकर अब फिर अप्रत्यक्ष रुप से निकाय प्रमुखों के चुनाव कराए जाने से क्या खरीद फरोख्त और बाड़ा बंदी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने केवल हार के डर को देखते हुए यह मूर्खतापूर्ण निर्णय लिया है।
सराफ ने कहा कि अब सरकार चाहे चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए, कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है क्योंकि जनता ने मानस बना लिया है और आगामी सभी चुनावों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने वाला है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण नीति के कारण हिन्दुओं को आतंकित कर रही है।
उन्होंने राज्य की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद कानून मंत्री है, इसके बावजूद प्रदेश में कानून व्यवस्था निरंतर बिगड़ती जा रही है और इसके चलते राज्य में चालीस से अधिक सांप्रदायिक घटनाएं हुई है। उन्होंने कहा कि इस कारण महिला उत्पीड़न की घटनाएं भी बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जनता ठगी सी महसूस करने लगी है और इस कारण पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई।
उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने से अब तक मुख्यमंत्री गहलोत 86 बार दिल्ली जा चुके है। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री बनने, मंत्री बनाने, मंत्रियों के विभागों का बंटवारा करने, उनके कमरे आवंटित करने, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को सीएमओ में आफिस नहीं देने, कुर्सी बचाने, बेटे को टिकट दिलाने आदि के लिए वह दिल्ली के चक्कर लगाते रहे और राज्य में कानून व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
सराफ ने राज्य सरकार के मीसा बंदियों की पेंशन बंद करने के लिए गए निर्णय को भी गलत ठहराते हुए कहा कि सरकार ने इस पर पुनर्विचार कर इसे वापस नहीं लिया तो जनता इसे माफ नहीं करेगी और वह जल्द ही इसका बदला लेगी। उन्होंने इसे सरकार का तानाशाहीपूर्ण रवैया बताते हुए कहा कि एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आपातकाल को कांग्रेस की भूल बताती है, दूसरी तरफ लोकतंत्र को पुर्नजीवित करने वालों की कांग्रेस सरकार पेंशन बंद कर रही है। यह तानाशाहीपूर्ण रवैया है।