जयपुर। श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के अग्रणी संत आचार्य स्वामी धर्मेन्द्र महाराज ने केन्द्र की मोदी सरकार पर राम मंदिर बनाने को लेकर जनता एवं रामभक्तों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी है कि शीघ्र अयोध्या में राममंदिर निर्माण को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया तो परिणाम भुगतने होंगे।
आचार्य महाराज सोमवार को पत्रकारों से कहा कि करोड़ों रामभक्तों की आकांक्षाओं के कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रचण्ड बहुमत मिला और मोदी ने लाल किले से भी राममंदिर बनाने का संकल्प दोहराया।
उन्होंने कहा कि राममंदिर निर्माण के लिए निरंतर पत्थरों की ढुलाई एवं नक्काशी का काम हो रहा हैं तथा मोदी की प्राथमिकता राममंदिर बनाने की होनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने इसकी अनुमति को लेकर गेंद उच्चतम न्यायालय के पाले में डाल दी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार रामभक्तों की अपेक्षा की कसौटी पर खरी नहीं उतरी।
उन्होंने कहा कि मोदी का जनसंकल्प कहां गया, वह एक बार भी अयोध्या नहीं गए जबकि उनकी यह प्राथमिकता होनी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि न्यायालय भारतीय संवेदनाओं से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं और समलैंगिक एवं विवाहेतर यौनाचार को मान्यता देने वाले उच्चत्तम न्यायालय के न्यायमूर्ति भारत की सनातन संस्कृति तथा विराट रामभक्त समाज की आस्था एवं आकांक्षा से अपरिचित हैं।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा की प्राथमिकता भी अब राम मंदिर निर्माण की नहीं हैं। यह जनता के साथ प्रत्यक्ष विश्वासघात हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा का देशव्यापी उद्घोष था कि रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। आज बदलकर उच्चतम न्यायालय में जाएंगे, मंदिर को लटकाएंगे हो गया। उन्होंने कहा कि देश का संत समुदाय शीघ्र राममंदिर चाहता हैं, इसमें किसी भी प्रकार का छलकपट सहन नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि अभी भी भरपाई का मौका हैं और अध्यादेश एवं कानून बनाकर राममंदिर निर्माण कराया जा सकता हैं। उन्होंने कहा कि इस दिशा में शीघ्र कोई कदम नहीं उठाए गए तो सत्रह फरवरी को विराटनगर के पावनधाम तीर्थ में आयोजित संत सम्मेलन में आगामी रणनीति की रुपरेखा निर्धारित की जाएगी। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में देश भर के संत एवं संत प्रतिनिधि शामिल होंगे।