नई दिल्ली। ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ के पांचवें और अंतिम चरण में सरकार ने आज सभी क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने, लोकउपक्रमों की संख्या कम करने, मनरेगा के लिए आवंटन और स्वास्थ्य पर निवेश बढ़ाने तथा कंपनी कानून और दिवालिया कानूनों में बड़े बदलावों की घोषणा की।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार नई लोक उपक्रम नीति लायेगी जिसमें सभी सेक्टरों को निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए खोला जाएगा। लोक उपक्रम चुनिंदा रणनीतिक क्षेत्रों में ही कारोबार कर सकेंगे। इन सेक्टरों को नोटिफाई किया जाएगा।
इन सेक्टरों में भी कम से कम एक और अधिक से अधिक चार लोक उपक्रमों की ही मौजूदगी होगी। इन क्षेत्रों में भी निजी कंपनियाँ कारोबार कर सकेंगी। अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले लोक उपक्रमों का निजीकरण किया जाएगा। यदि किसी रणनीतिक क्षेत्र में चार से अधिक सार्वजनिक कंपनी होगी तो उनका विलय या निजीकरण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य पर सरकारी निवेश बढ़ाया जाएगा। बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा ढांचों को मजबूत बनाया जाएगा। हर जिला अस्पताल में संक्रामक रोगों के लिए विशेष ब्लॉक बनाए जाएंगे। प्रखंड स्तर पर जन स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी। अनुसंधान के प्रोत्साहित किया जाएगा। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का ब्लूप्रिंट तैयार किया जाएगा।
सीतारमण ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर प्रवासी श्रमिकों के अपने-अपने घर लाैटने के कारण उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मनरेगा के लिए चालू वित्त वर्ष में 40 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त आवंटन किया जा रहा है। बजट में मनरेगा के लिए 61 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। इस प्रकार अब इसे बढ़ाकर 1.01 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि 40 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त आवंटन से 300 करोड़ व्यक्ति दिवस रोजगार सृजित होंगे।
उन्होंने कहा कि देश में कारोबार की आसानी को बढ़ावा देने के लिए कंपनी कानून और दिवालिया एवं शोधन अक्षमता कानूनों में बदलाव किए जा रहे हैं। निजी कंपनियों को अब अपने शेयर सीधे विदेशों में सूचीबद्ध कराने का अधिकार दिया जाएगा। साथ ही गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) संबंधी नियमों में भी बदलाव किया जाएगा। अब शेयर बाजार में एनसीडी जारी करने से कंपनी को सूचीबद्ध नहीं माना जाएगा।
कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थितियों की वजह से ऋण में चूक होने पर दिवाला कानून के तहत इसे चूक नहीं माना जाएगा। शोधन अक्षमता प्रक्रिश शुरू करने के लिए न्यूनतम चूक सीमा एक लाख रुपए से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए किया जाएगा। एक साल तक कोई नई दिवाला प्रक्रिया शुरू नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए अध्यादेश लाया जाएगा।
छोटे तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक को अपराधीकरण की सूची से निकाला जाएगा। पहले कंपनी कानून के तहत 18 प्रकार के अपराधों में सुलह कराने का अधिकार क्षेत्रीय निदेशकों को होता था अब इसमें 40 और अपराधों को शामिल किया जाएगा जहाँ दोनों पक्ष आपसी सहमति से मामले का निपटारा कर सकेंगे। साथ ही आपराधिक अदालतों और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधीकरण को अलग-अलग किया जाएगा। इसके लिए भी अध्यादेश लाया जाएगा।