इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर में रह रही पाकिस्तान से आई मूकबधिर युवती गीता के माता-पिता की खोजबीन के उद्देश्य से महाराष्ट्र- तेलांगना के सीमावर्ती पांच जिलों में चलाया गया भ्रमण अभियान बे-नतीजा रहा है।
गीता के माता पिता की खोजबीन के दल का नेतृत्व कर रहे सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित ने बताया कि अपनी धुंदली यादों में झाक कर गीता ने कुछ संकेत दिए थे। उन्ही संकेतों के आधार पर एक समझ बनी थी कि गीता महाराष्ट्र और तेलंगाना के उन सीमावर्ती इलाकों से हो सकती है, जहां रेलवे स्टेशन हो।
इसी क्रम में गीता को लासुर, औरंगाबाद, जलान, पर्वणी नांदेड़ और बासर में ले जाकर भ्रमण कराया गया। पुरोहित ने बताया लेकिन इन स्थानों पर संभवता बीते वर्षो में हुए फेरबदल के चलते गीता अपने गृह स्थान को पहचान नहीं सकी है।
इससे पहले 26 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज के प्रयासों से गीता को भारत लाया गया है। ऐसा माना जाता है कि 30 वर्षीय गीता लगभग 22-23 वर्षो पहले किसी माध्यम से भारत के किसी स्थान गृह स्थान से भटक कर पाकिस्तान चली गई थी। इस दौरान गीता लगभग 17 वर्षो तक पाकिस्तान स्थित एक यतीमखाने में रही है।
भारत लौटने के बाद से इंदौर में बीते पांच वर्षो से रह रही गीता को अन्यत्र स्थानों पर ले जाकर गीता की माता पिता की खोजबीन का ये पहला प्रयास किया गया है। इस प्रयास में महाराष्ट्र और तेलांगना की पुलिस के साथ इंदौर पुलिस ने भी सहयोग किया है।