नई दिल्ली। परमाणु शक्ति से चलने तथा परमाणु हथियारों से लैस पहली स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के पहले गश्त अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करने के साथ ही देश ने जल, थल और नभ से परमाणु हथियार दागने की क्षमता हासिल कर नाभिकीय त्रिकोण का मुकाम हासिल कर लिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे बड़ी और ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए इसका आज आधिकारिक तौर पर ऐलान किया। यह पहला मौका है जब अरिहंत के अभियान के बारे में सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ कहा गया है। सफल गश्त अभियान से लौटी अरिहंत की पूरी टीम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि यह देश की सुरक्षा के लिए बहुत बडा कदम और बेमिसाल उपलब्धि है।
उन्होंने कहा कि पडोस में परमाणु हथियारों की बढोतरी के बीच विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोधक क्षमता समय की जरूरत तो है ही यह भारत के दुश्मनों और शांति के दुश्मनों के लिए खुली चेतावनी है कि कोई किसी तरह का दुस्साहस न करे। उन्होंने कहा कि आपकी यह सफलता परमाणु हथियारों के नाम पर ‘ब्लैकमेलिंग’ का माकूल और मुंहतोड़ जवाब है।
मोदी ने कहा कि जब सारा देश दुर्गा पूजा और विजय दशमी का उत्सव मना रहा था उस समय अरिहंत की टीम देश के दुश्मनों का विनाश करने और देश की रक्षा के लिए अभियान और अभ्यास में जुटी थी। उन्हाेंने कहा कि यह धनतेरस खास है।
अमूमन सभी इस देश अपने और परिवार के लिए विशेष उपहार लाते हैं इसी कड़ी में यह देश को दीवाली पर मिला अनुपम, अनूठा और बेमिसाल उपहार है और सारा देश इसके लिए अरिहंत की टीम और इस अभियान से जुडे लोगों का कृतज्ञ है।
उन्होंने कहा कि अरिहंत की टीम ने एक महीने के दौरान इसकी मारक क्षमता का सफल अभ्यास कर देश के नाभिकीय त्रिकोण को पूरा कर दिया है। इससे देश की सुरक्षा कई गुना बढ गई है साथ ही वह दुनिया के चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि देश का यह नाभिकीय त्रिकोण विश्व शांति और स्थिरता का महत्वपूर्ण स्तंभ होगा।
प्रधान मंत्री ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने परमाणु परीक्षणों की उपलब्धि को विश्वसनीय नाभिकीय त्रिकोण में बदलने का अत्यंत दुष्कर कार्य किया है। यह उनकी प्रतिभा, अनवरत प्रयासों तथा बहादुर सैनिकों के साहस और समर्पण से संभव हो पाया है। इससे नाभिकीय त्रिकोण स्थापित करने में भारत की क्षमता और दृढ़ता को लेकर उठाए जाने वाले सभी सवालों का जवाब मिल गया है।
मोदी ने कहा कि भारत के लोग शक्तिशाली देश बनाने और नए भारत का निर्माण करने की आकांक्षा रखते हैं, और इसके लिए उन्होंने अनेक चुनौतियों का सफलातपूर्वक सामना किया है।
उन्होंने कहा कि सशक्त भारत ना सिर्फ सवा सौ करोड़ से अधिक भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करेगा, बल्कि अनिश्चितता तथा आशंकाओं से भरे विश्व में शांति और स्थिरता के लिए आधार स्तंभ बनेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार प्रकाश सिर्फ अंधकार को ही नहीं मिटाता बल्कि भय को भी दूर करता है, उसी प्रकार आईएनएस अरिहंत भी देश को भय से दूर रखेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक ज़िम्मेदार राष्ट्र के रुप में भारत ने नाभिकीय कमान प्राधिकरण के तहत प्रभावशाली सुरक्षा व्यवस्था और पूर्ण रूप से राजनीतिक नियंत्रण के तहत एक मजबूत परमाणु कमान और नियंत्रण संरचना स्थापित की है। भारत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीतियों के अनुसार विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता और परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करने की अपनी नीति के प्रति वचनबद्ध है।
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भी इस उपलब्धि को ऐतिहासिक करार देते हुए इस अभियान से जुडे लोगों को बधाई दी है।
आईएनएस अरिहंत 6000 टन वजन की घातक पनडुब्बी है जिसकी लंबाई 111 मीटर है और यह 350 मीटर की गहराई तक जा सकती है। अरिहंत पानी के भीतर 44 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है और यह 3500 किलोमीटर तक लक्ष्य को पानी के भीतर से ही भेद सकती है।
आईएनएस अरिहंत का 26 जुलाई 2009 को जलावतरण किया गया था। यह 83 मेगावाट के परमाणु रिएक्टर से चलती है। दस अगस्त 2013 को इसके रिएक्टर ने काम करना शुरू कर दिया। दिसम्बर 2014 में इसके गहन समुद्री परीक्षण शुरू किए गए और अगस्त 2016 में इसे नौसेना के बेडे में शामिल किया गया लेकिन कभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई।