नई दिल्ली। नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव केंद्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये देश में अगले आम चुनाव का माहौल बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
चुनाव आयोग ने शनिवार को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम विधानसभा चुनावों के कार्यक्रमों की घोषणा की। ये चुनाव नवंबर और दिसंबर में होंगे तथा चुनाव परिणाम 11 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। इन चुनावों को एक तरह से अगले आम चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है और इन तीनों राज्यों में कांग्रेस से उसका सीधा मुकाबला है। इन तीनों राज्यों में लोकसभा की 65 सीटें हैं तथा पिछले आम चुनाव में भाजपा 62 सीटें जीतने में सफल रही थी। उसने राजस्थान की सभी 25, मध्य प्रदेश की 29 में से 27 और छत्तीसगढ़ में 11 में से 10 सीटें जीती थीं।
इन तीनों राज्यों में सत्ता की बागडोर भाजपा के बड़े नेताअों के हाथों में है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने लगातार पिछले तीन चुनाव जीते हैं। छत्तीसगढ़ में डा़ रमन सिंह 2003 से लगातार मुख्यमंत्री है तथा मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चाैहान करीब 14 वर्षों से मुख्यमंत्री पद पर हैं। राजस्थान में वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री हैं। भाजपा इन चुनावों में इन नेताओं के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे को भुनाने में कोई कसर नहीं रखेगी।
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से सीधे मुकाबले वाले राज्यों में भाजपा के हाथों एक के बाद एक हार का सामना कर रही कांग्रेस के लिए ये चुनाव काफी अहम हैं। राजस्थान में लंबे समय से एक बार कांग्रेस की तो दूसरी बार भाजपा की सरकार बनती रही है।
यह देखते हुए इन चुनावों के बाद सरकार बनाने की बारी कांग्रेस की है तथा उसे उम्मीद है कि वह वहां सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाकर भाजपा काे सत्ता से बाहर करने में सफल रहेगी।
वह अगले वर्ष होने वाले लोक सभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाने के प्रयास में जुटी है। प्रस्तावित महागठबंधन में उसकी स्थिति क्या होगी यह इन पांच राज्यों के चुनाव परिणामों पर बहुत कुछ निर्भर करेगा।
जिन पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं उनमें से सिर्फ मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है। इन चुनावों में यदि उसकी हार होती है तो पूर्वोत्तर राज्यों में कहीं भी उसकी सरकार नहीं रह जाएगी।
आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद बने तेलंगाना में दूसरी बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। वहां विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ होने थे लेकिन सत्तारुढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति और उसके मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने समय से पहले चुनाव कराने का फैसला किया। भाजपा ने जहां राज्य में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है वहीं कांग्रेस, तेलुगु देशम और कम्युनिस्ट पार्टी मिलकर चुनाव लड़ने जा रही हैं।