सबगुरु न्यूज-सिरोही। नगर पालिका चुनावों में वर्तमान में माउण्ट आबू में सक्रिय कांग्रेस नेता रतन देवासी और नगर पालिका में नेता प्रतिपक्ष सुनील आचार्य की पार्टी भाजपा ने वहां के आम आदमी को राहत दिलवाने के लिए कई वायदे किए। लेकिन, अंग्रेजी दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित समाचार ने इन दोनों के नेतृत्व में चल रही माउण्ट आबू कांग्रेस और भाजपा की पोल खोल दी।
माउण्ट आबू के आम बाशिंदों को राहत दिलवाने का वायदा किया था। लेकिन, अब आरोप ये लग रहे हैं कि पूर्व एसडीएम गौरव सैनी के पत्र द्वारा अटके रोड़ों को हटवाने की बजाय ये उक्त नेताओं के नेतृत्व में कांग्रेस और भाजपा बड़े नामी गिरामी लोगों को फायदा पहुंचाने के काम में लग गई।
सबगुरु न्यूज ने दोनों से इस मुद्दे पर जानकारी के लिए फोन किया तो रतन देवासी फोन नहीं उठाकर जवाबदेही से भागते नजर आए। तो नेता प्रतिपक्ष सुनील आचार्य ने ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि सब अज्ञानी हैं और सिर्फ वही जानकार हैं।
-ये मुद्दा प्रस्ताव में भी नहीं
माउण्ट आबू के जोनल मास्टर प्लान में नक्की झील से देलवाड़ा जाने वाले मार्ग के पश्चिमी क्षेत्र में नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया है। हाल ही में एनजीटी ने पूर्व में जोनल मास्टर प्लान में कुछ विवादित संपत्तियों पर निर्णय देते हुए इन्हें मास्टर प्लान में शामिल करते हुए संशोधित मास्टर प्लान जारी करने का आदेश दिया था।
माउण्ट आबू कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने इसी को सबसे मुफीद समय मानते हुए नक्की झील से देलवाड़ा जाने वाले मार्ग पर मिनिस्टर्स कॉटेज से लेकर अर्बुदा मंदिर तिराहे तक के पश्चिमी इलाके को कंस्ट्रक्शन जोन में शामिल करने का प्रस्ताव पारित करके भेज दिया।
रतन देवासी के वरदहस्त पालिकाध्यक्ष के नेतृत्व में कांग्रेस और सुनील आचार्य के नेतृत्व में भाजपा की माउण्ट आबू के लोगों के प्रति समर्पण को देखिए कि इस बैठक के एजेंडे में पूर्व कार्यवाहक आयुक्त गौरव सैनी द्वारा डाले गए अड़ंगे को नहीं डाला गया।
– एक पार्षद ने उठाई आवाज
अंग्रेजी समाचर पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया में ये समाचार प्रकाशित हुआ। इससे स्पष्ट हो रहा है कि विपक्ष की भूमिका निभाते हुए सौरभ गांगडिया ने इस मुद्दे को उछाला। कांग्रेस और भाजपा के नेता टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर से पहले मुंह में दही जमाकर बैठे रहे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार गांगडिया ने इसमें आरोप लगाया कि नगर पालिका में प्रस्ताव पारित करने के बाद 15 दिन की आपत्ति लगाई जाती है। लेकिन, नगर पालिका ने इसे सार्वजनिक नहीं किया ताकि माउण्ट आबू का कोई स्थानीय निवासी इस पर आवाज नहीं उठा सके।
इनका कहना है…
उस दिन सिर्फ मैने विरोध किया था। बाकी सब समर्थन में थे। उस दिन माउण्ट आबू के लोगों को राहत देने राज्य सरकार से क्लीयर करवाने का मुद्दा किसी ने नहीं उठाया। एनजीटी ने ये कहा है कि जिसे आपत्ति है वह अपनी बात उनके सामने रखे।
सौरव गांगडिय़ा
पार्षद, भाजपा, माउण्ट आबू।