अजमेर। राजस्थान के अजमेर में विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 810वें सालाना उर्स का झंडा चढ़ने में महज पच्चीस दिन का समय शेष रह गया है।
कोरोना वैश्विक महामारी के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन से मचे विश्व में हाहाकार और भारत सहित राजस्थान और अजमेर में बढ़ते प्रकोप के बीच गरीब नवाज का उर्स किस तरह होगा इसको लेकर अजमेर दरगाह शरीफ के लोग चिंता में है।
दरगाह से जुड़ी अंजुमन के सदस्यों ने बताया कि जमादिउस्मानी महीने की 25 तारीख को दरगाह के बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाए जाने की परंपरा है और यह 27 जनवरी 2022 को झंडे की रस्म होनी है।
सूत्रों के अनुसार रजब का चांद दिखाई देने पर दो अथवा तीन फरवरी से उर्स की रस्में शुरू होंगी साथ ही दौराने उर्स छह दिनों के लिए जन्नती दरवाजा भी खोल दिया जाएगा। इस दौरान छोटे कुल व बड़े कुल की रस्म होगी। ग्यारह फरवरी को उर्स विधिवत संपन्न हो जाएगा।
उर्स का आगाज दरगाह के बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म के साथ होगा और इस दौरान हजारों हजारों अकीदतमंद जमा होंगे। ऐसे में कोरोना संक्रमण से इंकार नहीं किया जा सकता है। पूरे उर्स के दौरान देश विदेश से लाखों जायरीन अजमेर शरीफ पहुंचेंगे।
ऐसे में उर्स की व्यवस्थाएं किस तरह होगीं खादिमों की चिंता का बड़ा कारण है क्योंकि खादिमों ने हर साल की तरह जायरीनों को डाक व ईमेल के जरिए दावतनामा भेजकर न्यौता दे रखा है। गौरतलब बात यह है कि अजमेर जिला प्रशासन की ओर से उर्स को लेकर फिलहाल कोई तैयारी नहीं की गई है।