जयपुर । जहां मूल्यवर्द्धित उत्पाद वर्ष 2020 तक लगभग 30 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि के साथ 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि का वायदा कर रहे हैं, वही वैल्यू एडेड सेगमेंट में फ्लेवर्ड मार्केट अच्छे पैटर्न पर आगे बढ़ रहा है। वैश्विक शोध एवं इंटेलिजेंस एजेंसी, मिनटेल द्वारा कराये गये एक शोध के अनुसार, वर्ष 2017 के शुरूआती छः महीनों में भारत में लाॅन्च किये गये सभी डेयरी पेय उत्पादों में फ्लेवर्ड मिल्क का दबदबा 39 प्रतिशत रहा और यही कारण है कि आने वाले मौसम में यह फ्लेवर्ड मिल्क की बिक्री में वृद्धि का महत्वपूर्ण कारक रहने वाला है। शहर के लोग अब कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और जूस की जगह फ्लेवर्ड मिल्क को पसंद कर रहे हैं।
वर्ष 2018 में, वैश्विक डेयरी बाजार में भारत की हिस्सेदारी लगभग 19 प्रतिशत रही। आईमार्क की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 से 2020 के बीच फ्लेवर्ड दूध बिक्री के आंकड़े 25 प्रतिशत अनुमानित औसत सीएजीआर प्रदर्शित करते हैं।
लोटस डेयरी प्रोडक्ट्स लिमिटेड के निदेशक, अनुज मोदी बताते हैं, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में फ्लेवर्ड दूध सेगमेंट में लगभग 23 प्रतिशत सीएजीआर की दमदार वृद्धि हुई है। हमें उम्मीद है कि आगे भविष्य में भी यह वृद्धि जारी रहेगी, क्योंकि ग्राहक दूध के स्वाभाविक स्वास्थ्य फायदों के चलते अब कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, जूस आदि की जगह फ्लेवर्ड मिल्क को पसंद कर रहे हैं। पोषण एवं सुविधा की इस आवश्यकता को महसूस करते हुए, लोटस डेयरी ने हाल ही में पूरी तरह से प्राकृतिक फ्लेवर्ड मिल्क का प्रीमियम रेंज लाॅन्च किया है। इस लाॅन्च का उद्देश्य ग्राहकों को रेडी-टू-ड्रिंक बेवरेजेज सेगमेंट में एक अधिक स्वास्थ्यवर्द्धक विकल्प प्रदान करना है। बाजार से इतनी उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है कि हम इस वर्ष अतिरिक्त इनोवेटिव फ्लेवर्स लाने की पहले से ही योजना बना रहे हैं, ताकि अपने ग्राहकों को उत्साहित, खुशहाल एवं स्वस्थ रख सकें।’’
मिंटेल द्वारा 18-64 आयु वर्ग के प्री-पैक्ड रेडी-टू-ड्रिंक डेयरी प्रोडक्ट्स के उपभोक्ताओं पर कराये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार, 64 प्रतिशत ग्राहकों को लगता है कि यह एक स्वास्थ्यवर्द्धक विकल्प है, जबकि 48 प्रतिशत ग्राहकों ने कहा कि वे दूग्ध उत्पादों को पीने के बाद ऊर्जावान महसूस करते हैं, 54 प्रतिशत ग्राहकों का सोचना है कि ये ड्रिंक्स सुविधाजनक विकल्प हैं और 46 प्रतिशत ग्राहक इसे स्वच्छ मानते हैं।
बाजार शोध प्रदाता, यूरोमाॅनिटर इंटरनेशनल के अनुसार, ग्राहक बिना ब्रांड वाले विकल्पों के बजाये ब्रांडयुक्त विकल्पों को अपना रहे हैं और डेयरी खण्ड के विकास का यह एक प्रमुख कारण है, जहां पैकेजयुक्त उत्पादों की मांग 2017 के 1.2 ट्रिलियन से बढ़कर वर्ष 2018 में 1.39 ट्रिलियन हो गई है, इस प्रकार इसमें 15.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।