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floor test karne mein devendr fadanvis kyon pichhe hat rahe hain - Sabguru News
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फ्लोर टेस्ट कराने में अब देवेंद्र फडणवीस क्यों पीछे हट रहे हैं !

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फ्लोर टेस्ट कराने में अब देवेंद्र फडणवीस क्यों पीछे हट रहे हैं !

महाराष्ट्र में सरकार बनाने का मामला पिछले तीन दिनों से देश की सबसे बड़ी अदालत में है। कल यानी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर अपना फैसला सुनाने वाला है। शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में दलील दे रही है कि देवेंद्र फडणवीस का फ्लोर टेस्ट कराया जाए। आपको बता दें आज करीब दो घंटे इस मसले पर अदालत में तीखी बहस हुई।

कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना की तरफ से जल्द फ्लोर टेस्ट की मांग की गई, जबकि फडणवीस-अजित पवार की ओर से कुछ समय मांगा गया। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस और भाजपा को भी लग रहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट फ्लोर टेस्ट का आदेश दे देती है तो शायद वह इस परीक्षा में पास न हो पाएं, इसलिए फ्लोर टेस्ट से दूर भाग रहे हैं। आइए आपको बताते हैं क्या होता है फ्लोर टेस्ट। इस समय महाराष्ट्र की सत्ता पूरी तरह फ्लोर टेस्ट पर आकर अटकी हुई है।

आपको बताते हैं क्या होता है फ्लोर टेस्ट

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस और भाजपा को सरकार सरकार बनाने के लिए अब बहुमत साबित करना होगा। अमूमन राज्यपाल राज्य में सरकार बनाने वाली पार्टी को बहुमत साबित करने की बात तब कहते हैं जब उन्हें पता हो कि सरकार बनाने वाली पार्टी के पास पर्याप्त बहुमत नहीं हो। फ्लोर टेस्ट के जरिए यह फैसला लिया जाता है कि वर्तमान सरकार या मुख्यमंत्री के पास पर्याप्त बहुमत है या नहीं।

चुने हुए विधायक अपने मत के जरिए सरकार के भविष्य का फैसला करते हैं। फ्लोर टेस्ट सदन में चलने वाली एक पारदर्शी प्रक्रिया है और इसमें राज्यपाल का किसी भी तरह से कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। सत्ता पर काबिज पार्टी के लिए यह बेहद जरूरी होता है कि वह फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करे।

तीन प्रकार से किया जा सकता है फ्लोर टेस्ट

पहला यह है कि ध्वनिमत से कराया जा सकता है फ्लोर टेस्ट। दूसरा है हेड अकाउंट या संख्याबल, जब सदस्य सदन में खड़े होकर अपना बहुमत दर्शाते हैं।

तीसरा लॉबी डिवीजन माना जाता है। यह तरीका सबसे पुख्ता माना जाता है। इसमें सदन के सदस्य लॉबी में जाते हैं और रजिस्टर में हस्ताक्षर करते हैं। हां के लिए अलग लॉबी और न के लिए अलग लॉबी होती है।

एनसीपी-शिवसेना, कांग्रेस ने कहा राज्यपाल का आदेश रद हाे

महाराष्ट्र के जारी राजनीतिक संकट के बीच आज सुप्रीम कोर्ट में करीब डेढ़ तक सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने  शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी की याचिका पर सुनवाई की है। तीनों दलों ने याचिका में कहा है कि बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के राज्यपाल के 23 नवंबर के आदेश को रद किया जाए। कांग्रेस,एनसीपी और शिवसेना जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट की भी मांग की है।

कांग्रेस ने कहा है कि असलियत जानने के लिए फ्लोर टेस्ट के अलावा कोई रास्ता नहीं है, हम चाहते हैं कि 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट हो। कांग्रेस चाहती है कि जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट फ्लोर टेस्ट कराने की इजाजत दें।

भाजपा के वकील रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट न कराने पर अड़े हुए हैं

केंद्र सरकार और भाजपा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट के लिए 14 दिन का वक्त दिया है। उन्होंने कहा कि प्रोटेम स्पीकर के बाद स्पीकर का चुनाव जरूरी है, लेकिन विपक्ष प्रोटेम स्पीकर से ही काम कराना चाहता है। मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगले सात दिन में फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता है, कल भी फ्लोर टेस्ट का ऑर्डर न दिया जाए।

रोहतगी ने कहा कि विधानसभा की कुछ परंपरा हैं, जिनका पालन होना चाहिए।पहले प्रोटेम स्पीकर, सदस्यों का शपथ ग्रहण, स्पीकर का चुनाव, राज्यपाल का अभिभाषण और फिर फ्लोर टेस्ट होता है लेकिन शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट से फ्लोर टेस्ट कराने पर अड़ी हुई है। मंगलवार को अब देखना होगा सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र मसले पर फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश देती है या भाजपा को कुछ समय और देती है।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार