आबूरोड (सिरोही)। सिरोही जिले के आदिवासी बहुल भाखर क्षेत्र के दुर्गम गांवों की ढाणियों में भीषण गर्मी के चलते चारे एवं पानी की किल्लत से पालतु पशु दम तोड़ रहे हैं।
क्षेत्रवासियों की बात पर भरोसा करें तो उनके पास चारा खत्म हो चुका है और पेयजल के सभी स्रोत सूख चुके हैं। हालात यह है कि पेयजल का कोई जरिया नहीं होने से लोग खुद परेशान हैं।
नहीं खोदे जा रहे नए हैण्डपंप
क्षेत्र के दो दर्जन गांवों की फलीयों में प्यास बुझाने का एकमात्र जरिया हैण्डपंप उपयुक्त विकल्प होने के बाद भी ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिलापरीषद, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिक विभाग आदि इस इलाके में नए हैण्डपंप की स्वीकृतियां जारी करने में आनाकानी करते हैं।
भीषण गर्मी में यहां पेयजल के प्राकृतिक स्रोत सूख जाने से बेजूबान एक तरफ दम तोड़ रहे हैं वहीं सरकारी कारिंदे चुनाव आचार संहिता का राग अलाप कर नए हेण्डपंप खोदने में आनाकानी कर रहे हैं।
इन फलियों में पानी को तरस रहा पशुधन
उपलागढ़ की गोरीया एवं गोरसाफली, निचलागढ़ की सोलंकी एवं हराफली, उपलाखेजड़ा, निचलाखेजड़ा पाबा, रणोरा, भमरिया, बोसा, जाम्बुड़ी, मीण, उपलीबोर, निचलीबोर, क्यारी, जायदरा, टांकीया, दोयतरा, डेरी, पीपरमाल, ईडमाल आदि।
देरी व अनावृष्टि से नहीं उगा चारा
इस क्षेत्र में गत साल बारिश में हुई देरी के कारण पहाड़ी घास नहीं उग पाई। परिणाम यह हुआ कि आदिवासी पशुपालक चारे का संग्रह नहीं कर सके। अब पशुओं के लिए चारा खरीदकर इंतजाम करना इनके बूते से बाहर है।