Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्यागिकी विधेयक राज्यसभा में पेश - Sabguru News
होम Delhi खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्यागिकी विधेयक राज्यसभा में पेश

खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्यागिकी विधेयक राज्यसभा में पेश

0
खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्यागिकी विधेयक राज्यसभा में पेश
Food Processing Technology Bill introduced in Rajya Sabha
Food Processing Technology Bill introduced in Rajya Sabha
Food Processing Technology Bill introduced in Rajya Sabha

नई दिल्ली। देश के दो खाद्य प्रसंस्करण और उद्यमिता संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देने तथा में खाद्य प्रस्संकरण को बढावा देकर दुनिया में इस क्षेत्र में भारत की पहचान बढाने से संबंधित विधेयक राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्यागिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक 2019 आज राज्य सभा में पेश किया गया।

कृषि कल्याण मंत्री नरेन्द्र तोमर ने सदन में यह विधेयक पेश किया।

कांग्रेस के एल हनुमंतैया ने विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि हमारे देश में कृषि क्षेत्र की प्रधानता को देखते हुए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुग्ध आदि को यदि छोड़ दें तो अन्य खाद्य पदार्थों के प्रसंस्करण के मामले में देश बहुत पीछे है और इसे बढाये जाने की सख्त जरूरत है। इससे एक तो कुपोषण की समस्या से निजात मिल सकती है तो दूसरी ओर रोजगार के अवसर भी बढेंगे।

विधेयक के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें स्थायी समिति की कुछ सिफारिशों की अनदेखी की गयी है और उन्हें ध्यान में रखते हुए इन संस्थानों में गरीब छात्रों की फीस माफ करने तथा अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति एवं अन्य वर्गों को आरक्षण दिया जाना चाहिए।

भाजपा के अशोक वाजपेयी ने कहा कि हरियाणा के कुंडली स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्यगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान तथा तमिलनाडु के तंजावुर स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण संस्थान को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिये जाने से देश की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनेगी।

बीजू जनता दल के भास्कर राव ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण को बढावा देने के लिए जरूरी है कि देश में इससे संबंधित कौशल विकास को भी बड़े पैमाने पर बढावा दिया जाये और प्रशिक्षण की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।

द्रमुक के तिरूचि शिवा ने कहा कि इन संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिये जाने से इनमें आरक्षण की व्यवस्था प्रभावित नहीं होनी चाहिए और संबंधित वर्गों को इसका लाभ मिलना चाहिए।