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For hearing child sexual abuse cases Special Courts will be set up in india - Sabguru News
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बाल यौन शोषण मामलों की सुनवाई के लिए गठित होंगी 1023 स्पेशल कोर्ट

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बाल यौन शोषण मामलों की सुनवाई के लिए गठित होंगी 1023 स्पेशल कोर्ट
For hearing child sexual abuse cases 1023 Special Courts will be set up across the country
For hearing child sexual abuse cases 1023 Special Courts will be set up across the country

नई दिल्ली। सोलह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के यौन शोषण और बाल पोर्नोग्राफी से संबंधित आपराधिक मुकदमों की सुनवाई के लिए देश भर में 1023 विशेष अदालतें गठित की जाएंगी और इस पर 760 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।

महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने आज राज्यसभा में बाल यौन शोषण राेकथाम (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बच्चों को इन अपराधों के संबंध में जागरूक बनाने के लिए 42 लाख स्कूली शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

इसके अलावा प्रत्येक स्कूल में इन अपराधों की रोकथाम के संबंध में हेल्पलाइन नम्बर समेत अन्य जानकारी सूचना पट्ट पर दी जाएगी। ईरानी के जवाब के बाद सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

उन्होंने कहा कि 18 राज्यों ने विशेष अदालतें गठित करने के प्रस्ताव को मान लिया है लेकिन इन अपराधों की रोकथाम के लिए और भी कदम उठाने होंगे। विशेष अदालतों के लिए आवंटित 760 करोड रूपए में से केन्द्र 470 करोड़ रूपए का वहन करेगा जबकि शेष राशि राज्यों को वहन करनी होगी।

नए कानून के तहत मामला दर्ज किए जाने दो माह के अंदर आरोप पत्र दायर करना होगा और इसके दो महीने बाद सुनवाई शुरू होगी तथा एक साल के भीतर मामले का निपटारा करना आवश्यक होगा।

बाल विकास मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय ने यौन अपराधियों का एक राष्ट्रीय डाटा बेस तैयार किया है जिसमें 6 लाख 20 हजार यौन अपराधियों के नाम दर्ज किए गए हैं और देश के सभी पुलिस मुख्यालय इस डाटा बेस से जुड़े हैं।

इससे नौकरी से पहले पुलिस सत्यापन में इन अपराधियों की पहचान में मदद मिलेगी। मंत्रालय ने इन अपराधों की जांच करने वाले अधिकारियों और वकीलों आदि को भी विशेष प्रशिक्षण दिया है।

ईरानी ने बताया कि वर्ष 2016 के बाद राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े इसलिए नहीं आ पाए हैं क्योंकि नए दिशा निर्देशों के अनुसार बालक और बालिकाओं के साथ यौन हिंसा के आंकडे अलग-अलग एकत्रित किए जा रहे हैं।

विधेयक में 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के साथ यौन अपराध के मामले में कम से कम 20 साल की सजा होगी और इसे बढाकर आजीवन कारावास किया जा सकता है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

क्रूर यौन हिंसा के मामलों में 20 वर्ष की कठोर सजा के प्रावधान के साथ मृत्युदंड भी दिया जा सकता है। बीस साल की सजा को ताउम्र तक भी बढाया जा सकता है। इसके अलावा बाल पोर्नोग्राफी अपराध के मामले में कम से कम पांच वर्ष की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। दूसरी बार अपराध की स्थिति में कम से कम सात साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

बच्चों के अश्लील वीडियो रखने पर कम से कम 5 हजार रूपए का जुर्माना और दूसरी बार 10 हजार रूपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इस तरह के वीडियो रखने और उन्हें प्रचारित करने पर तीन साल की सजा सुनाई जा सकती है। इसमें जुर्माना भी किया जा सकता है।