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दाे दिन तक केंद्र और केजरीवाल सरकार दिल्ली को जलती हुए देखते रहे

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दाे दिन तक केंद्र और केजरीवाल सरकार दिल्ली को जलती हुए देखते रहे
Center and Kejriwal government kept watching Delhi burning
Center and Kejriwal government kept watching Delhi burning

नई दिल्ली। इटली की एक पुरानी कहावत है। ‘रोम जल रहा था नीरो बंशी बजा रहा था’ बस इसी मुहावरे की तर्ज पर इस बार देश की राजधानी दिल्ली दो दिन तक जलती रही। इस दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हमारे मेहमान बने हुए थे। प्रधानमंत्री मोदी समेत तमाम केंद्रीय मंत्री उन्हीं के इंतजाम और स्वागत में जुटे रहे। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सुलगती हुई दिल्ली को बुझाने के लिए गृहमंत्री अमित शाह जो देख रहे थे, वहीं दूसरी ओर गृहमंत्री ट्रंप के कार्यक्रम में मोटेरा स्टेडियम में बैठे अरविंद केजरीवाल की ओर निहार रहे थे।

जब तक केजरीवाल और अमित शाह सक्रिय हो पाते तब तक दिल्ली के कई मोहल्ले आग में झोंक दिए गए। इस हिंसा में 20 लोगों की मौत भी हो गई, इसमें एक हेड कांस्टेबल की भी गोली लगने से मृत्यु हुई है। यह आग नागरिकता संशोधन कानून के विरोध और समर्थकों को लेकर फैली। आखिर दिल्ली को बचाने की जिम्मेदारी किसकी थी। नेताओं के दिए गए भड़काऊ बयान के बाद दिल्ली में ऐसा माहौल बना की उत्तरी दिल्ली के मौजपुर भजनपुरा, करावल नगर, जाफराबाद सुलग उठे।

राजधानी दिल्ली की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी आखिर किसकी ?

देश की राजधानी दिल्ली में जब हम सुरक्षा व्यवस्था की बात करते हैं तो हमें यह भी देखना होगा कि एक कानूनी जिम्मेदारी और दूसरा नैतिक जिम्मेदारी कानूनी तौर पर यह पूरी जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्रालय की है। दरअसल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र होने के चलते दिल्ली के लिए संविधान में अलग से प्रावधान दिए गए हैं। दिल्ली को लेकर संविधान में विशेष रूप से अनुच्छेद 239 एए शामिल किया गया है। इस अनुच्छेद में दिल्ली विधानसभा और दिल्ली सरकार की शक्तियों का जिक्र है।

इसमें यह साफ लिखा गया है कि दिल्ली विधानसभा राज्य और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बना सकती है। लेकिन उसे भूमि, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। इसे और सरल भाषा में समझें तो दिल्ली के लिए पुलिस और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के ऊपर है। मतलब केंद्रीय गृह मंत्रालय का सीधे-सीधे यह जिम्मा बनता है कि वह दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखे।

दिल्ली हिंसा में 20 लोगों की हुई मौत अजीत डोभाल ने संभाला मोर्चा

दिल्ली में 3 दिनों से जारी हिंसा में 20 लोगों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दिल्ली हिंसा रोकने के लिए लंबी हाई प्रोफाइल बैठक भी हुई। इस बैठक में तमाम पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद रहे। लेकिन दिल्ली के हालात अभी भी पुलिस के में नियंत्रण में नहीं आ पा रहे हैं । अब केंद्र सरकार ने इसकी जिम्मेदारी राष्ट्रीय सुरक्षा मुख्य सलाहकार अजीत डोभाल को दी है।

यहां हम आपको बता दें कि सबसे बुरे हालात उत्तर पूर्वी दिल्ली में है। डोभाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कैबिनेट को रिपोर्ट करेंगे। आज मोदी कैबिनेट की मीटिंग भी होगी। अमित शाह इसमें दिल्ली के हालात पर रिपोर्ट पेश करेंगे। दूसरी ओर दिल्ली में जारी हिंसा के मामले की मंगलवार देर रात तक हाईकोर्ट में सुनवाई भी हुई है। इस समय दिल्ली में हालात कुछ नियंत्रण में बताए जा रहे हैं।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार