अजमेर। राजस्थान में अजमेर जिले में होली को देखते हुए ऐड़ा प्रथा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में वन्यजीवों के शिकार पर अपनी ओर से कमर कस ली है।
अजमेर के उप वन संरक्षक सुनील चिद्री के अनुसार होली पर वन्यजीवों का शिकार ऐडा प्रथा के अन्तर्गत होता आया है। उच्च निर्देशों के बाद वन विभाग ने मंडल स्तरीय व्यवस्था के तहत गशती दल का गठन रेंजवाइज़ निगरानी कराई जानी तय की है। ताकि शिकारियों की धरपकड़ कर उन्हें वन्यजीवों का शिकार करने से रोका जा सके। उन्होंने बताया कि होली पर ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ जाति विशेष के लोगों द्वारा प्रथा के तहत शिकार को अंजाम दिया जाता है। ऐसे लोगों को जंगलों में समूह में सक्रिय किया जाता है। वे परम्परा के तहत छोटे जानवरों व पक्षियों का शिकार करते है।
अजमेर जिले में ब्यावर, मसूदा, सरवाड़, किशनगढ़, पींसागन, पुष्कर आदि के जंगलों में शिकार किया जाता है। इन क्षेत्रों के लिए वन विभाग ने मोबाइल वैन की फ्लाइंग टीम का गठन भी किया गया है जो होली से पहले अवकाश के दिनों में भी निगरानी का काम करेंगे।
विभागीय जानकारी के मुताबिक़ राज्य में अजमेर जिले के अतिरिक्त कोटा, झालवाड, बूंदी, राजस्मंद भीलवाड़ा, सिरोही, चित्तोड़गढ़, बारां में भी इस कुप्रथा का चलन चला आ रहा है।