आबूरोड (सिरोही)। सिरोही जिले की आबूरोड तहसील से सटे आदिवासी क्षेत्र में वन सम्पदा की रखवाली भगवान भरोसे है। लापरवाही का आलम यह है कि वन विभाग निचलाग-सजये और निचलाखेजडा के बीच फैले कई हैक्टेयर वन भूमि में जंगल की सुरक्षा दीवार करना ही भूल ही गया। नतीजतन पर्यावरण शत्रुओं की बुरी नजर वन सम्पदा पर पड रही है।
अस्तित्व खोती सुरक्षा दीवार
वनभूमि के चारों तरफ जगह-जगह से सुरक्षा दीवार अपना स्थान खो चुकी है। इस साल बारिश से पहले वन विभाग ने पुनर्निर्माण नहीं करवाया, जिससे ग्रीष्म ऋतु से ही मवेशी व पर्यावरण शत्रु बेरोकटोक वन सम्पदा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हरियाली की आभा पर ग्रहण सा लग रहा है। पेडों पर कुल्हाडी के घाव गम्भीर चोट के प्रहार कर रहे हैं।
ये है वनखण्ड का क्षेत्र
वनखण्ड सोलंकी फली, साट्टीया फली, खेतला फली, सजयेकलिया फली, जोडिया फली, कामरा फली व निचलाखेडा की सरहद के भाखर बावसी, पागला खाद री भाग में फैली कई हेक्टेयर वन भूमि।
उड रही वृक्षारोपण अभियान की धज्जियां
यहां जंगलात क्षेत्र में पौधारोपण कर पर्यावरण को सुरक्षा देने वाला खुद विभाग ही लापरवाह बना हुआ है। इस वर्ष इन वन खण्डों में वृक्षारोपण ही नहीं किया गया। इसके विपरीत मोनिटरिंग ही छोड देने से दो साल पहले रोपे गए पौधे भी आबाद होने से पूर्व मवेशियो का निवाला बन गए।
पहरे के नाम पर केवल वन भूमि बोर्ड
ज्ंगल में देखभल के नाम पर वन भूमि क्षेत्र इंगित करता एक बोर्ड लगा हुआ है, इसका आशय यह है कि यह क्षेत्र वन भूमि का जरूर है, लेकिन पहरेदारों ने अपनी निगरानी से आंखें बंद कर
रखी है। जाहिर है, कि बाड ही खेत को खाने लगी है।
इन्होंने कहा
मैने कई पर्यावरण प्रेमियों के साथ मिलकर देलदर वन चौकी में कार्यरत वन रक्षक व अन्य पदस्थापित वन हल्का कार्मिकों को इस खण्ड की दुर्दशा बाबत कई बार मौखिक रूप अवगत करवाया, लेकिन हर बार अनसुना ही कर दिया गया।
लक्ष्मणराम
वार्ड पंच वार्ड संख्या 4
सजयेकलियां फली निचलागढ