आबूरोड(सिरोही)। सिरोही जिले की आबूरोड तहसील के आदिवासी बाहुल्य भाखर क्षेत्र की वनभूमि के कई हैक्टेयर फैले जंगल में वृक्षारोपण नहीं करवाने, सुरक्षा दीवार टूट जाने और वनविभाग द्वारा मॉनिटरिंग छोड़ देने से जंगल की दुर्दशा हो रही है।
बीते साल बारिश के बावजूद अब तक वन भूमि की सुरक्षा के जिम्मेदारी वन विभाग ने संरक्षण व सुरक्षा की दिशा में कोई कार्य नहीं करवाए। हद तो तब हो गई जब विभाग ने वन क्षेत्र की मोनटरिंग भी छोड़ दी।
सुरक्षा दीवार न होने से मवेशी व जंगल को उजाड़ने वाले पर्यावरण शत्रु निर्बाध रुप से वन सम्पदा को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस वन भूमि को आबाद रखने के लिए यहां के आदिवासियों व वनप्रेमियों ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, राज्यपाल, मुख्य सचिव, प्रधान वन संरक्षक को जंगल बचाने के लिए कई बार प्रार्थना पत्र भेजे पर नतीजा सिफर रहा।
वनों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार कार्मिक लापरवाही बरत रहे हैं, हालात यह है। वनस्पति खुर्द -बुर्द, वन संपदा दोहन, पेड़ पौधाें की कटाई, वन्य जीव पलायन के संकेत स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। केन्द्र व राज्य सरकार की मंशा के तहत हरित राजस्थान, हरियालो राजस्थान, वृक्ष लगाओ आदि पर्यावरण को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय अभियानों का यहां कोई असर दिखाई नहीं पडता।
इस वन भूमि को बचाने व पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए कई विभाग को सुरक्षा दीवार बनवाने की गुहार की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की नीति के अनुरूप वन खण्ड भाखर बावसी, पागला खादरी, ढेकलियाफली, कामराफली, जोडियाफली, सोलंकीफली, साट्टीयाफली, निचलाखेजड़ा की सरहद के वनभूमि की परिधि में सुरक्षा दीवार निर्माण तथा अन्दर के भाग में वृक्षारोपण से उजड़ते जंगल को बचाया जा सकता है।