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मास्को । विश्व कप की सबसे निचली रैंकिंग की टीम होने के बावजूद नॉकऑउट दौर में पहुंच चुके रूस और उसके समर्थकों के तूफ़ान को राउंड 16 के नॉकऑउट मुकाबले में रोकना पूर्व चैंपियन स्पेन के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
विश्व कप में कई बड़े उलटफेर हो चुके हैं और विश्व की नंबर एक टीम तथ गत चैंपियन जर्मनी पहले ही राउंड में हारकर बाहर हो चुकी है, ऐसे में नॉकऑउट दौर में उलटफेर की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता और वह भी तब जब किसी भी टीम के लिए सब कुछ दांव पर लगा हो।
मेजबान रूस ने तमाम आलोचनाओं और उसे अपने ही देश में नकार दिए जाने के बावजूद राउंड 16 में पहुंच कर सबकुछ हासिल कर लिया है जो उसे चाहिए था। रूस के पास अब गंवाने के लिए कुछ नहीं है। इस मुकाबले में असली दबाव तो 2010 की चैंपियन स्पेन पर रहेगा जिसे रूसी टीम के सातवें आसमान को छूते मनोबल और रूसी समर्थकों के आसमान को छूते शोर से मुकाबला करना होगा। स्पेन की टीम इस मुकाबले में जीत की प्रबल दावेदार रहेगी और इसी बात का उस पर सबसे ज्यादा दबाव रहेगा।
इस मुकाबले का मेजबान स्थल लुजनिकी स्टेडियम ग्रुप चरण में चार मैचों का आयोजन कर चुका है और अब स्टेडियम में मेजबान देश के लिहाज से सबसे बड़ा मुकाबला होने जा रहा है। इसी स्टेडियम में जुलाई में बाद में सेमीफाइनल और फाइनल होना है।
रूस ने अपने पहले दोनों मैच आसानी से जीतकर नॉकऑउट में जगह बना ली थी। हालांकि उसे ग्रुप ए में दो बार के पूर्व चैंपियन उरुग्वे से अंतिम ग्रुप मैच में 0-3 से हार का सामना करना पड़ा था लेकिन इस हार ने मेजबान को अगले बड़े मैच के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार कर दिया होगा और उन्होंने अपनी गलतियों से भी सबक ले लिया होगा। इस हार का एक फायदा रूस को यही हुआ कि उसे यह मैच मास्को में खेलने को मिल गया जहां उसके समर्थक बड़ी तादाद में उसका उत्साह बढ़ने के लिए मौजूद रहेंगे।
स्पेन ने ग्रुप बी में पुर्तगाल के साथ 3-3 का ड्रा खेलने के बाद लगातार शानदार प्रदर्शन किया और खुद को खिताब के प्रबल दावेदार के रूप में पेश किया। स्पेन को इस मैच में उतरते समय इस तथ्य का ध्यान रखना होगा कि मेजबान देशों का सामना करते समय उसका कोई बहुत बेहतर रिकॉर्ड नहीं है।
फर्नांडो हिएरो की टीम को टूर्नामेंट में अब तक सर्वाधिक गोल दागने वाली टीमों में से एक का सामना करना होगा जिससे उसकी रक्षात्मक समस्याएं सामने आ सकती हैं।
आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो सोवियय संघ के विभाजन के बाद रूस ने स्पेन को कभी नहीं हराया है और उसे 2 ड्रॉ, 4 हार का सामना करना पड़ा है। उनका पिछला मुकाबला नवंबर 2017 में एक मैत्री मैच में हुआ था जो 3-3 से ड्रॉ रहा था।
स्पेन ने रूस के खिलाफ पिछले तीन मैचों में दस गोल किए हैं। स्पेन अपने पिछले 23 मैचों में कभी नहीं हारा है और उसने साथ ही 15 मैच जीते तथा 8 ड्रॉ खेले हैं। सोवियत संघ के विभाजन के बाद रूस का यह पहला विश्वकप नॉकआउट मैच है। दूसरे प्रमुख टूर्नामेंटों में उसने सिर्फ एक बार तब नॉकआउट चरण में खेला था जब यूरो 2008 के सेमीफाइनल में वह स्पेन से हार गया था।