अलवर। राजस्थान में अलवर के सैनी समाज के सिरमौर नेता एवं पूर्व मंत्री ईश्वर लाल सैनी का शनिवार देर रात हृदयाघात से निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे।
बीमारी के चलते वैजयंती अस्पताल में उपचाराधीन सैनी को रक्तचाप कम होने के थोड़ी देर बाद ह्रदययाघात हुआ। कुछ देर बाद ही उन्होंने अंतिम सांस ली। रविवार सुबह 11 बजे पूर्व मंत्री सैनी का उनकी इच्छानुसार उनके निवास स्थान सैनी कॉटेज के पिछवाड़े ही अंतिम संस्कार किया गया।
सैनी को उनके भाइयों के पुत्रों विशाल और विकास ने मुखाग्नि दी। शासन-प्रशासन की ओर से प्रोटोकॉल के तहत एडीएम एवं शहर कोतवाल अध्यात्म गौतम ने दिवंगत को पुष्पांजलि अर्पित की।
अलवर में झील वाला कुआं (अब सैनी कॉटेज) निवासी नंबरदार परमानंद सैनी के सुपुत्र ईश्वर लाल सैनी ने राजनीति और समाज सेवा को अपने जीवन का ध्येय बनाया। युवावस्था में ईश्वर लाल सैनी राज्य स्तरीय हॉकी खिलाड़ी भी रह चुके थे।
बीती सदी के सातवें दशक तक सैनी समाज के ईश्वर लाल सैनी एवं हरि नारायण सैनी नामक दो कद्दावर नेता थे। जिन्होंने सैनी स्कूल को बचाने के लिए संघर्ष किया। इस संघर्ष के दौरान 169 लोगों को जेल जाना पड़ा था।
आजीवन अविवाहित रहे ईश्वर लाल सैनी ने कांग्रेस टिकट पर लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार चुनाव विधायक निर्वाचित हुए। वे राज्य में जगन्नाथ पहाड़िया के शासनकाल में शिक्षा उप मंत्री रहे।
उन्होंने राजनीतिक जीवन सफर की शुरुआत 1960 से नगर पालिका अलवर के सदस्य के रूप में की। ईश्वर लाल सैनी 1969 से 72 तक तत्कालीन नगर पालिका अलवर के अध्यक्ष रहे। उनमें राजनीतिक गुण और नेतृत्व क्षमता देखकर कांग्रेस ने उन्हें वर्ष 1980 लक्ष्मणगढ़ से चुनाव मैदान में उतारा।
जहां से वह अपने प्रबल प्रतिद्वंद्वी नत्थी सिंह को शिकस्त देकर पहली बार विधायक चुने गए। इस चुनाव जीत ने उनका राजनीतिक कद बढ़ा दिया और वर्ष 1981 में प्रदेश में उन्हें जगन्नाथ पहाड़िया सरकार के मंत्रिमंडल में शिक्षा उप मंत्री के रूप में शामिल कर लिया गया।
वर्ष 1985 में कांग्रेस ने ईश्वर लाल सैनी को फिर लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी के रूप में उतार दिया। इस बार उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी प्रभु सिंह चौधरी को करीब 10000 मतों से पीछे छोड़ कर दूसरी बार विधायक होने का गौरव प्राप्त किया।
वर्ष 1990 में कांग्रेस ने एक बार फिर सैनी की राजनीतिक क्षमताओं पर भरोसा करते हुए लक्ष्मणगढ़ सीट पर उन्हें उतार कर दांव खेला। ईश्वर लाल सैनी ने कांग्रेस की अपेक्षानुरूप स्वयं को पार्टी का दमदार प्रत्याशी प्रमाणित करते हुए तीसरी बार लक्ष्मणगढ़ सीट जीतकर हैट्रिक बनाई।