मुक्तसर । पंजाब की राजनीति के कद्दावर नेता एवं कांग्रेस के पूर्व सांसद जगमीत बराड़ पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ,शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रधान सुखबीर बादल तथा केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल की मौजूदगी में आज यहां शिअद में शामिल हो गये।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने बराड़ के पार्टी में शामिल होने को घर वापसी बताते हुये कहा कि आज का दिन महत्वपूर्ण दिन है। बराड़ तथा उनके पिता सहित पूरा परिवार सिद्धांतों पर चलने वाला परिवार रहा है। बराड़ की शब्दावली शालीन तथा नम्रता से सराबोर रही। उनकी घर वापसी से शिअद को मजबूती मिलेगी तथा हम सभी मिलकर पंजाब के विकास तथा पंथ के लिये काम करेंगे।
उन्होंने इस मौके पर अपने पुत्र सुखबीर बादल को कहा कि वो आगे बढ़कर बराड़ को गले लगायें और उनसे राजनीतिक गुर भी सीखें क्योंकि बराड़ ने मूल्य तथा सिद्धांतों पर आधारित राजनीति की है। राजनीति में बराड़ का ऊंचा कद रहा है। उन्होंने कांग्रेस पर आतंकवाद को बढ़ावा देने तथा मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर बदले की राजनीति करने का आरोप लगाते हुये कहा कि कैप्टन सिंह ने तो उनकी पत्नी तक को नहीं बख्शा था। वह पांच बार मुख्यमंत्री रहे तो पंद्रह साल जेल भी काटी।
बादल ने उन्हें सिरोपा देकर सम्मानित किया। शिअद के प्रधान सुखबीर बादल ने बराड़ की घर वापसी पर उनका तहेदिल से स्वागत करते हुये कहा कि पार्टी को पूरे राज्य में विशेषकर मुक्तसर जिले में ताकत मिलेगी। बराड़ ने बादल परिवार का धन्यवाद करते हुये कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी दी जायेगी उसे निभायेंगे और पंजाब के विकास के लिये काम करेंगे।
ज्ञातव्य है कि बराड़ के पिता अकाली दल के बड़े नेता थे लेकिन 1977 में फरीदकोट उपचुनाव में टिकट को लेकर दोनों परिवार जुदा हो गये। उसके बाद बराड़ कांग्रेस में शामिल हो गये और दो बार फरीदकोट लोकसभा का चुनाव जीते। उन्होंने सुखबीर बादल को 1999 के लोकसभा चुनाव में फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र से हराया लेकिन वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में वो बादल से हार गये थे।
बराड़ ने अपने घर पर कार्यक्रम रखा था। भाजपा तथा अकाली दल से मिली पेशकश में से उन्होंने शिअद में शामिल होने का फैसला किया। वह कांग्रेस छोड़ने के बाद 2016 में त्रणमूल कांग्रेस के पंजाब इकाई के प्रधान भी रहे। उसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थामने की कोशिश की लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ सकी। उन्होंने फिरोजपुर से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गये थे। अब फिर शिअद उन्हें फिरोजपुर से चुनाव मैदान में उतारने का मन बना रही है।