गांधीनगर। पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के नेता हार्दिक पटेल की सहयोगी रही रेशमा पटेल ने सत्तारूढ़ भाजपा का दामन थामने के एक साल बाद बगावती तेवर अपनाते हुए मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को एक खुला पत्र लिख कर पाटीदार आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए ‘शहीदों’ के परिजनों को अब तक नौकरी नहीं दिए जाने पर दु:ख प्रकट किया है।
पाटीदार आंदोलन के दौरान अपने तेज तर्रार तेवर के चलते सुर्खियों में रही रेशमा ने पत्र में लिखा है कि गत वर्ष 21 अक्टूबर को उन्होंने भाजपा में शामिल होते समय कुछ शर्तें रखी थी जिसमें शहीदों के परिजनों को नौकरी दिलाना एक महत्वपूर्ण शर्त थी। दु:ख की बात यह है कि अब तक ऐसा नहीं किया गया है। वह इस बात को उठाना अपना फर्ज समझती हैं।
बाद में पत्रकारों से बातचीत में रेशमा ने कहा कि वह इस बात को अनुशासन भंग जैसी कार्रवाई नहीं मानती और अगर कोई इसे इस श्रेणी में रखता है तो उन्हें इसकी परवाह नहीं है। वह भाजपा छोड़ेगी कि नहीं यह भविष्य की बात है।
ज्ञातव्य है कि रेशमा ने गत विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल होने के बाद हार्दिक के खिलाफ जबरदस्त मोर्चा खोला था। अब उनके भाजपा को एक बार फिर छोड़ने की अटकलें तेज हैं।