माउंटआबू। देश के प्रथम लोकपाल न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष ने कहा है कि आध्यात्मिक के माध्यम से राष्ट्र के गौरव, एकता एवं अखण्डता को बनाए रखा जा सकता है।
घोष ब्रह्माकुमारी संगठन के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में न्यायविद प्रभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन में सोमवार शाम बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वयं को सभी के साथ जोड़कर देखने से सर्व प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं। ईर्ष्या सबके दिमाग में जहर भर देती है। जिससे आपराधिक प्रवृत्तियों का जन्म होता है। पारिवारिक एवं सामाजिक रिश्तों में दूरिया बढ़ जाती हैं।
उन्होंने कहा कि राजयोग सर्व के प्रति शुभ भावना एवं शुभ कामना रखने में सहायक है। तेरे-मेरे के संकुचित विचारों से ही नकारात्मक वातावरण का महौल पैदा होता है। पेड़ की तरह सदा फल देने की ही भावना होनी चाहिए। ब्रह्माकुमारी संगठन की ओर से प्रशिक्षित राजयोग से सब प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं।
इस अवसर पर मध्यप्रदेश लोकायुक्त यूसी माहेश्वरी ने कहा कि किसी निश्चित भू-भाग में मानव जीवन का निवास होने से राष्ट्र की पहचान नहीं होती है बल्कि देशवासियों के उज्जवल एवं श्रेष्ठ संस्कारों से राष्ट्र की पहचान होती है। अध्यात्म हमें दूसरों को देने की प्रेरणा देता है और सत्य की राह दिखाता है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व जज एके श्रीवास्तव ने कहा कि अपने चिन्तन एवं कर्मक्षेत्र पर आध्यात्मिकता का प्रयोग करने से हर कार्य सुचारू रूप से होता है। कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी संगठन महासचिव बी के निर्वैर, संगठन की समाजसेवा प्रभाग की अध्यक्षा बी के संतोष बहन, पूर्व न्यायाधीश ई. ईश्वरैय्या तथा अन्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस मौके घोष ने ब्रह्माकुमारी संगठन के अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय पाण्डव भवन का अवलोकन करते हुए कहा कि देश के सुख, समृद्धि एवं खुशहाली की कामना को पूर्ण करने के लिए वर्तमान परिवेश में मनुष्य को स्वयं की खोज कर अपनी आंतरिक आध्यात्मिक शक्तियों को जागृत करने की जरूरत है।
मूल्यों के अभाव में बढ़ती मानसिक विकृत्तियों पर रोकथाम लगाने को अध्यात्म से जुडऩे के लिए ब्रह्माकुमारी संगठन की ओर से लंबे समय से किया जा रहा भगीरथ कार्य समाज को नि:संदेह नई दिशा देने में सक्षम है।