नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल बनाया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली लोकपाल चयन समिति ने न्यायमूर्ति घोष का लोकपाल पद के लिए चयन किया है। वह इस समय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य है।
न्यायमूर्ति घोष मई 2017 में उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए थे। वे आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके है। उन्होंने न्यायाधीश के रूप में अपनी पारी की शुरुआत कलकत्ता उच्च न्यायालय से की थी।
अभी नियुक्ति के बारे में आधिकारिक रूप से कोई घोषणा नहीं की गई है। उच्चतम न्यायलय ने सरकार से लोकपाल की नियुक्त के बारे में उसे जल्द से जल्द फैसला करने को कहा था।
लोकपाल चयन समिति की शुक्रवार को बैठक हुई थी। समझा जाता है की इसमें लोकपाल पद के अलावा लोकपाल संस्था के आठ सदस्यों का भी चयन किया गया। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति रंजन गोगोई तथा प्रमुख न्यायविद के रूप में मुकुल रोहतगी शामिल हुए।
इस बैठक में लोकसभा में विपक्ष के नेता के स्थान पर सदन में सबसे बड़ी विपक्षी दल के नेता के नाते मल्लिकार्जुन खड़गे को विशेष आमंत्रित के तौर पर बुलाया गया था लेकिन उन्होंने इसमें भाग नहीं लिया।
खड़गे पहले भी समिति की बैठकों में भाग लेने से यह कहते हुए इंकार करते रहे है कि विशेष आमंत्रित के तौर पर बैठक में शामिल होने से उन्हें लोकपाल के चयन में मतदान का अधिकार नहीं होगा, इसलिए उनके शामिल होने का कोई अर्थ नहीं है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से लोकपाल कानून में संशोधन कर सदस्य के रूप में लोकसभा में विपक्ष के नेता के बजाय सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता का प्रावधान करने का बार बार अनुरोध किया है, लेकिन अभी तक इस कानून में ऐसा कोई संशोधन नहीं किया गया है।