नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे वयोवृद्ध राजनीतिज्ञ नारायण दत्त तिवारी का गुरुवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। तिवारी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे और वह यहां के निजी अस्पताल में भर्ती थे।
उत्तराखंड में 17 अक्टूबर 1925 को नैनीताल जिले के बलोती गांव में जन्मे तिवारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। उन्होंने केंद्रीय मंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। उनके परिवार में उनकी पत्नी उज्ज्वला तिवारी और एक पुत्र रोहित शेखर हैं।
भारत छोड़ो आंदोलन में जेल जाने वाले तिवारी ने आजादी के बाद प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से अपना राजनीति कैरियर शुरू किया था। वह बाद में कांग्रेस के प्रमुख नेता बने और देश के पहले एेसे राजनीतिज्ञ हुए जिन्हें दो राज्यों के मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ है।
उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर तिवारी कांग्रेस की भी स्थापना की थी। तिवारी की प्रारंभिक शिक्षा हलद्वानी, बरेली और नैनीताल में हुई। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एम ए किया था। इस दौरान वह छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे। उन्हें 1942 के आंदोलन में 14 दिसम्बर को गिरफ्तार कर नैनीताल जेल भेज दिया गया था जहां वह दो साल तक रहे।
आजादी के बाद 1947 में उन्हें कांग्रेस का सचिव बनाया गया। वर्ष 1952 में उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर नैनीताल सीट से उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वह इसी पार्टी के टिकट पर इसी सीट से दूसरी बार विधायक बने थे।
वर्ष 1963 में वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और 1965 में काशीपुर से विधायक चुने गये और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बने। चौधरी चरण सिंह की सरकार में वह संसदीय कार्य मंत्री भी बने। तिवारी 1969 से 1971 तक युवक कांग्रेस के पहले अध्यक्ष रहे।
तिवारी 1976 से 1977 तथा 1984 से 1885 तथा जून 1988 से दिसम्बर 1988 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इससे पहले 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए और केंद्र में मंत्री बने। वह योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे। वर्ष 1985 से 1988 तक राज्य सभा के सदस्य रहे और राजीव गांधी सरकार में उद्योग, पेट्रोलियम और विदेश मंत्री बनाए गए।
वर्ष 1994 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह के साथ मिलकर तिवारी कांग्रेस का गठन किया। बाद में वह फिर कांग्रेस में शामिल हो गए और 1996 तथा 1999 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा के सदस्य चुने गए।
तिवारी 2002 से 2007 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद 19 अगस्त को उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया लेकिन विवादों में घिरने के कारण उन्होंने 26 दिसम्बर 2007 को राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया।
उनका विवाह 1954 में सुशीला तिवारी से हुआ। वर्ष 2014 में एक विवाद के बाद उन्हें अपनी पूर्व महिला मित्र उज्ज्वला से विवाह करना पड़ा।
नीतीश ने तिवारी के निधन पर जताया शोक
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व राज्यपाल एवं पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के निधन पर आज गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। कुमार ने यहां अपने शोक संदेश में कहा कि श्री तिवारी के रूप में देश ने एक बड़े व्यक्तित्व को खो दिया है।
उन्होंने केन्द्रीय मंत्री, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया था। इसके अलावा राज्यपाल के तौर पर भी अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए उन्हाेंने हमेशा संसदीय लोकतंत्र की मजबूती की बात की। उन्होंने कहा कि श्री तिवारी के निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है।
मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों, अनुयायियों एवं प्रशंसकों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।