लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का लंबी बीमारी के बाद शनिवार देर शाम यहां संजय गांधी स्नातकोत्तर आर्युविज्ञान संस्थान में निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताया है।
पिछली तीन जुलाई को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें लखनऊ के राममनोहर लोहिया संस्थान में भर्ती कराया गया था जबकि चार जुलाई को उन्हे एसजीपीजीआई शिफ्ट किया गया। इस दौरान कई बार सिंह की सेहत में उतार चढाव आया मगर शुक्रवार को उनकी तबीयत एक बार फिर बिगड़ गई थी और डाक्टरों के अथक प्रयास के बाद उन्हे बचाया नहीं जा सका।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गोरखपुर से लौटकर एसजीपीजीआई में जाकर सिंह की सेहत के बारे में जानकारी एकत्र की थी। डाक्टरों ने उन्हें बताया था कि सिंह की किडनी ने काम करना बंद कर दिया है जबकि उनका रक्तचाप भी नार्मल नहीं था। योगी कई बार अस्पताल जाकर भाजपा के बुजुर्ग नेता के स्वास्थ्य की जानकारी लेते रहे थे। इससे पहले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी लखनऊ आकर सिंह से मिले थे।
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में हुआ था। भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार होने वाले कल्याण सिंह 1991 और 1997 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जबकि 2014 में उन्हें राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। इसके बाद 2015 में उन्हें हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था।
एक दौर में कल्याण राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे। उनकी पहचान हिंदुत्ववादी और प्रखर वक्ता के तौर पर थी। ‘बाबूजी’ के नाम से राजनीतिक गलियारों में पहचाने जाने वाले कल्याण ने छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद न सिर्फ अपनी सत्ता की बलि दी बल्कि इस मामले में सजा पाने वाले वह एकमात्र शख्सियत थे।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने
कल्याण सिंह 2 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वे भाजपा के यूपी में पहले सीएम भी थे। पहले कार्यकाल में 24 जून 1991 से 6 दिसम्बर 1992 तक और दूसरी बार 21 सितंबर 1997 से 12 नवंबर 1999 तक मुख्यमंत्री रहे। 30 अक्टूबर, 1990 को जब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी। प्रशासन कारसेवकों के साथ सख्त रवैया अपना रहा था। ऐसे वक्त में भाजपा ने मुलायम का मुकाबला करने के लिए कल्याण सिंह को आगे किया।
अटल के बाद जनता पर कल्याण का जादू
कल्याण सिंह भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद दूसरे ऐसे नेता थे, जिनके भाषणों को सुनने के लिए जनता सबसे ज्यादा बेताब रहती थी। कल्याण सिंह ने एक साल के अंदर ही भाजपा को उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया कि पार्टी ने 1991 में अपने दम पर यूपी में सरकार बना ली। इसके बाद कल्याण सिंह यूपी में भाजपा के पहले सीएम बने। सीबीआई में दायर आरोप पत्र के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के ठीक बाद कल्याण सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर का निर्माण करने की शपथ ली थी।
कल्याण की सरकार राममंदिर के नाम पर कुर्बान
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के दौरान कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी थी। ढांचा गिराए जाने के बाद कल्याण ने इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि यूपी के सीएम के रूप में, वह मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देंगे। सरेआम बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कल्याण सिंह को जिम्मेदार माना गया। कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर, 1992 को ही सीएम पद से इस्तीफा दे दी। लेकिन दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया।
कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि ये सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ। ऐसे में सरकार राममंदिर के नाम पर कुर्बान हुई। अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसकी रक्षा न करने के लिए कल्याण सिंह को एक दिन की सजा मिली। बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच के लिए लिब्राहन आयोग का गठन हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दी, लेकिन कल्याण और उनकी सरकार की आलोचना की।