हरियाणा को आज पंजाब से अलग होकर प्रदेश बने हुए 53 साल पूरे हो गए हैं। हरियाणा का गठन एक नवंबर 1966 को हुआ था बाद प्रदेश के युवाओं ने विश्व पटल पर अपनी प्रतिभाओं से खेल, शिक्षा, सुरक्षा समेत तमाम क्षेत्रों में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। पढ़े-लिखे किसानों की बदौलत खेती में भी काफी बदलाव देखा गया है, हालांकि पराली के धुएं का संकट अभी बरकरार है।
हरियाणा उद्योग धंधों के बावजूद बेरोजगारी की चुनौतियां भी बाकी हैं। लिंगानुपात तो चिंताजनक है , कई जिलों में समुचित स्वास्थ्य सुविधाओं की दरकार है। जानकार बताते हैं कि यदि अनुभवी लोगों का हरियाणा की उन्नति और विकास में इस्तेमाल हो तो प्रदेश का कायापलट हो जाएगा। तीन दशक पहले गांव में लैंप की रोशनी के सहारे ही लोग जीवन बिता रहे थे।
अब हर गांव और शहर में बिजली की सुविधा है। यातायात सुविधाओं के क्षेत्र में भी प्रदेश ने काफी तरक्की की है। मगर चिंता की बात यह है कि युवा नशा की चपेट में आ रहे हैं। प्रदेश गठन की यादों को ताजा करते हुए 74 वर्षीय सुमेर सिंह बताते हैं कि उस समय उनकी उम्र 21 साल थी और वह भी इस मुहिम का हिस्सा बने थे। पहले लोग संयुक्त परिवार में रहते थे। आपस में प्यार-प्रेम होता था और बड़े-छोटों की इज्जत होती थी। दूध-दही का खाना ही हमारी पहचान होती थी, लेकिन अब चाट-पकौड़ियों के पीछे देसी खाना खत्म हो गया।