फ्रांस। मुसलमानों का कट्टरवाद उनके लिए ही मुसीबत बनता जा रहा है। चाइना, जर्मनी के बाद अब फ्रांस ने भी मुसलमानों के लिए अपने देश में प्रवेश करने को लेकर रोक लगा दी है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यह फैसला किया है कि वह अब विदेशी मुसलमानी इमामों को अपने देश में नहीं घुसते देगा। यहां हम आपको बता दें कि मुस्लिम कट्टरवाद को लेकर जर्मनी और चीन में काफी समय से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बताया कि हमने 2020 के बाद अपने देश में किसी भी अन्य देश से आने वाले मुस्लिम इमामों पर रोक लगा दी है। फ्रांस में हर साल करीब 300 इमाम दुनियाभर के देशों से आते हैं।
फ्रांस में आतंकवादी गतिविधियों पर लगेगी: इमैनुएल मैक्रों
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बताया कि इस कदम से फ्रांस में आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगेगी। फ्रांस में ज्यादातर इमाम अल्जीरिया, मोरक्को और तुर्की से आते हैं। वे यहां आकर मदरसों में पढ़ाते हैं। हमने फ्रेंच मुस्लिम काउंसिल से कहा है कि वे इस बात पर नजर रखें कि 2020 के बाद कोई विदेशी मुस्लिम इमाम फ्रांस में न आए।
मैक्रों ने कहा है कि फ्रांस में मौजूद सभी विदेशी इमामों को फ्रेंच सीखने को कहें और साथ ही कट्टरपंथी भावनाएं न भड़काएं। किसी भी प्रकार की आतंकी गतिविधि में शामिल न हों, फ्रांस के कानून की रक्षा करें। इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि सभी आतंकी मुस्लिम ही हों। लेकिन ज्यादातर मामलों में इस्लामिक आतंकवाद ही सामने आता है, इसलिए हमने ऐसा कदम उठाया है।
फ्रांस मुसलमानों के खिलाफ नहीं है लेकिन आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देगा
राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि फ्रांस की संस्कृति और परंपराओं को सीखने की कोशिश करें। इससे उनका ज्ञान और अनुभव बढ़ेगा। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बताया कि इस साल सितंबर के बाद फ्रांस में विदेशी मुस्लिम इमामों पर देश में आने पर रोक लग जाएगी। राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि कैसे धर्म के नाम पर लोग मस्जिदों को पैसे भेजते हैं। इन पैसों का उपयोग गलत कामों के लिए होता है। फ्रांस मुसलमानों के खिलाफ नहीं है लेकिन आतंकवाद का समर्थन करने वालों के पक्ष में भी नहीं हैं।
इसलिए ऐसा करने वालों को हम नहीं छोड़ेंगे। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि हमारे देश में 9 मुस्लिम देशों से इमाम आकर पढ़ाते हैं। लेकिन अब मेरी सरकार इस बात को पुख्ता करेगी कि भविष्य में इन 9 देशों से कोई इमाम न आने पाए । दूसरी ओर राष्ट्रपति मैक्रों के इस फैसले के बाद विरोधी दल के नेताओं ने राष्ट्रपति पर मुसलमानों को लेकर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार