बड़वानी। मध्यप्रदेश की बड़वानी में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की नर्मदा नव निर्माण एनजीओ से जुड़े व्यक्तियों के विरुद्ध दर्ज धोखाधड़ी के प्रकरण में नोटिस दिए जाने के उपरांत आज मेधा पाटकर तथा ट्रस्ट के कुछ अन्य सदस्य एसआईटी के समक्ष उपस्थित हुए।
बड़वानी के पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला ने बताया कि राजपुर निवासी फरियादी प्रीतम राज बडोले की शिकायत पर नर्मदा नवनिर्माण एनजीओ से जुड़े व्यक्तियों के विरुद्ध थाना बड़वानी पर धोखाधड़ी के पंजीबद्ध हुए प्रकरण के सिलसिले में आरोपी मेधा पाटकर व ट्रस्ट के कुछ अन्य सदस्य एसआईटी के समक्ष उपस्थित हुए।
उन्होंने बताया कि मेधा पाटकर ने दस्तावेज सौंपे तथा कुछ ट्रस्टियों के बयान लिए गए। फिलहाल मेधा पाटकर के बयान नहीं लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि एसआईटी के समक्ष बड़वानी और मुंबई में आज 10 ट्रस्टी उपस्थित हुए, जिनमें से छह के बयान लिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में एसआईटी की 2 टीम मुंबई स्थित नर्मदा नवनिर्माण एनजीओ के मुख्यालय पहुंची और वहां से दस्तावेज एकत्रित किए। इसके अलावा एक अन्य ट्रस्टी परवीन जहांगीर और अन्य कुछ ट्रस्टियों के बयान भी लिए गए। परवीन जहांगीर ने हिसाब किताब, ऑडिट आयकर रिटर्न और अन्य जानकारियां साझा की।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि एनजीओ नर्मदा नव निर्माण पर मेधा पाटकर, परवीन जहांगीर, विजया चौहान और मोहन पाटीदार का ही वित्तीय नियंत्रण था। कुछ अन्य ट्रस्टियों ने एनजीओ का सदस्य होना स्वीकार किया है, लेकिन उन्हें वित्तीय लेनदेन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।
उन्होंने बताया कि एक टीम मझगांव डॉक लिमिटेड भी गई है, और उनसे सीएसआर की राशि के बारे में पूछताछ की जा रही है। उन्होंने कहा कि एक टीम एनजीओ द्वारा संचालित बड़वानी के भादल में 1 तथा महाराष्ट्र के नंदूरबार जिले में संचालित सात जीवन शालाओं की जानकारी लेने भी गई है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस मामले में मेधा पाटकर समेत 12 ट्रस्टी आरोपी थे, जिसमें से एक की मृत्यु हो चुकी है तथा दो अन्य ने इस्तीफा दे दिया था। इस मामले में मध्यप्रदेश के चार अन्य लोगों को ट्रस्टियों के रूप में जोड़ा गया था। उन्होंने कहा कि समस्त ट्रस्टियों के व्यक्तिगत खातों के भी रिकॉर्ड हासिल किए जा रहे हैं ताकि मामले की विवेचना में मदद मिल सके।
उल्लेखनीय है कि बड़वानी पुलिस ने प्रीतम राज बडोले की शिकायत पर मेधा पाटकर समेत नर्मदा नवनिर्माण एनजीओ के 11 अन्य प्रश्नों के विरुद्ध धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र में आदिवासी बच्चों के विकास तथा शिक्षा को लेकर एकत्रित किए गए साढ़े 13 करोड़ से अधिक की राशि का दुरुपयोग किया है। इस मामले में एसआईटी का गठन किया गया है। मेधा पाटकर ने सभी आरोपों को नकारते हुए इसे राजनीतिक षड्यंत्र निरूपित किया है।