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हिन्दुस्तान के वीर सपूतों की गाथा कविता में बंया

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हिन्दुस्तान के वीर सपूतों की गाथा कविता में बंया
मेरे हिन्दुस्ता के वीरसपूत
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
मेरे हिन्द की धरती के पहले
क्रांतिकारी अग्रदूत मंगल पाण्डे जैसे
 वीर सपूत को हम करते वारमम्बार नमन
            .  मेरे हिन्द,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,🇮🇳
आजादी का मतलब जिन्होंने हमे समझाया  है
देख उनके इरादे पूरी ब्रिटेश सरकार थर्राई थी
डर के मारे कांप उठे थे
रातों रात अन्धेरो मे छिप फांसी उन्हे लगई थी
             मेरे हिन्द,,,,,,,,,,,,,,,,,,,🇮🇳
सोच से उनकी खत्म हुआ सब
अब कोई न आगे आएगा
पर भूल गये वो जिस धरा पर बैठे थे सिना ताने वो
हिन्द की धरती है जहां कण कण मे वीर समाए है
एक मंगल के बदले हजारों ब्रिटेश सर काटे जाएगें
              मेरे हिंन्द,,,,,,,,,,,,,,,,,,,🇮🇳
सोचा था  एक को खो कर यूहीं शान्ति बैठे रह जाएगें
आजादी के मतवाले सुभाष ,चन्द्र शेखर,भगतसिह
,राजगुरू,सुखदेव, गाँधी. नहरू जैसे
 अनेको वीर यहां जान हथेली पे लेकर बैठे है
भारत माता पर मर मिटने का जनून सिरो पर रहता है
                मेरे हिन्द,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,🇮🇳
कितनो की कुरबानी पर तिरगां लाल किले पे लहराया है
हिन्द की धरती ख़ुद पर गर्वित हो इतराती है
मैने ऐसे लाल जाने
मैं तो क्या दुनिया भी नतमस्तक हो जाती है
 मेरे हिन्द का क्या कहना
                  मेरे हिन्द,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,🇮🇳
               (  Anita panchal )