नई दिल्ली। राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर देश में मचे सियासी घमासान के बीच फ्रांस ने इन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया है कि पाकिस्तानी पायलटों को कतर की ओर से राफेल लड़ाकू विमान उडाने का प्रशिक्षण दिया गया है।
अमेरिकी पोर्टल एआईएन ऑनलाइन ने गत फरवरी में एक रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तानी पायलटों को नवम्बर 2017 में कतर के आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत राफेल विमान उडाने का प्रशिक्षण दिया गया था।
भारत ने इससे एक साल पहले ही फ्रांस के साथ 36 राफेल विमान खरीदने के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इस सौदे को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है और यह मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंच गया है।
फ्रांस के भारत में राजदूत एलेक्जेन्डर जिगलेर ने अमरीकी पोर्टल की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा है कि यह गलत खबर है। उन्होंने टि्वट किया कि मैं पुष्टि कर सकता हूं कि यह फेक न्यूज है।
अभी तक रक्षा मंत्रालय या वायु सेना ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की है लेकिन सूत्रों का कहना है कि राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी डसाल्ट एविएशन से इस बारे में जानकारी मांगी जाएगी।
कतर को गत 6 फरवरी को पहला राफेल विमान मिला था। कतर ने 24 राफेल विमान खरीदने के लिए 2015 में डसाल्ट के साथ करार किया था और उसने दिसम्बर 2017 में अतिरिक्त 12 विमान खरीदने का आर्डर भी डसाल्ट को दिया। पाकिस्तानी सैन्यकर्मी समय समय पर पश्चिम एशिया के कई देशों की सेनाओं में तैनात किए जाते रहे हैं।