मुंबई। बॉलीवुड में फिल्मों को कामयाब बनाने के लिए नायक जोडियों को दोस्त के रूप में पेश करना एक हिट फार्मूला रहा है। निर्माताओं ने इस फॉर्मूले को अपनी फिल्मों में अक्सर आजमाया है और ऐसा बहुत कम हुआ है जब नाकामी हाथ लगी हो।
वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म ‘शोले’ में दोस्ती के जज्बे को खूबसूरती के साथ पेश किया गया। अमिताभ और धर्मेन्द्र के रूप में जय-वीरू की दोस्ती आज भी दोस्ती की मिसाल के रूप में याद की जाती है। सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने कई फिल्मों में दोस्ती की भावना को पेश किया है।
इस फिल्म का गाना ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे’ आज भी दोस्ती पर आधारित सर्वश्रेष्ठ गीतों में शुमार किया जाता है।अमिताभ बच्चन और धर्मेन्द्र की दोस्ती ‘चुपके-चुपके’ और ‘राम बलराम’ जैसी फिल्मों में भी दिखाई दी। सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ अमिताभ बच्चन ने फिल्म ‘नमक हराम’ में दोस्ती के जज्बे को शानदार तरीके से पेश किया।
अमिताभ बच्चन की दोस्ती विनोद खन्ना के साथ कई बार रूपहले परदे पर देखने को मिली। इनमें हेराफेरी, मुकद्दर का सिकंदर आदि फिल्में शामिल हैं। शत्रुघ्न सिन्हा के साथ अमिताभ बच्चन की दोस्ती वाली फिल्म ‘दोस्ताना’ आज भी दोस्ती की मिसाल के रूप में याद की जाती है।
इस फिल्म का गाना ‘बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा’ आज भी दोस्ती पर आधारित लोकप्रिय गीतों में शुमार किया जाता है। शत्रुघ्न सिन्हा और जीतेन्द्र की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ‘खुदगर्ज’ में भी दोस्ती के मधुर रिश्ते को खूबसूरती के साथ पिरोया गया था।
अमिताभ बच्चन ने शशि कपूर के साथ भी सिल्वर स्क्रीन पर दोस्ती निभाई है। ऐसी फिल्मों में ईमान धरम, शान, सुहाग प्रमुख हैं। अमिताभ की तरह ही धर्मेन्द्र ने भी कई कलाकारों के साथ रूपहले पर्दे पर दोस्ती निभाई है।
उनकी दोस्ती शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद खन्ना के साथ सर्वाधिक पसंद की गई। बेहतरीन जोड़ी के नजरिए से देखा जाए तो इन जोड़ियों के बाद अनिल कपूर-जैकी श्रॉफ, अक्षय कुमार-सुनील शेट्टी और संजय दत्त-गोविंदा की दोस्ती पर आधारित फिल्में दर्शकों को बेहद पसंद आई।
वर्ष 1991 में प्रदर्शित फिल्म ‘सौदागर’ में दिलीप कुमार और राजकुमार की दोस्ती के जज्बे को बुलंद तरीके से रूपहले परदे पर पेश किया गया था। वर्ष 1964 में रिलीज ताराचंद बड़जात्या की फिल्म ‘दोस्ती’ में दो दोस्तों के बीच परस्पर प्रेम को पेश किया गया।
मौजूदा दौर में कुछ फिल्मों में दोस्ती की भावना को शानदार तरीके से पेश किया गया है। इन फिल्मों में थ्री इडियट्स, दिल चाहता है, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा, रंग दे बसंती, कुछ कुछ होता है, चश्मे बद्दूर जैसी कई फिल्में शामिल हैं।