Friendship Day | आज मित्रता दिवस है और इस दिन के बारे में बात करते ही सबसे पहले हमारे ज़ेहन में उन्हीं का चेहरा आता है जो जीवन में हर कदम पर बिना एक भी पल सोचे हमारा साथ दें। यद्यपि जीवन के सफ़र में कोई न कोई साथ देने वाले और हमें सही रास्ता दिखाने वाले सहयोगी मिलते रहते हैं फिर भी उनमें से कुछ ही पक्के सच्चे मित्र बन पाते हैं। क्योंकि कहा गया है –
“सर्वथा सुकरं मित्रं दुष्करं प्रतिपालनम्॥”
अर्थात मित्रता करना सहज है लेकिन उसको निभाना कठिन है। सबसे बड़ा सम्बन्ध रक्त सम्बन्ध कहा गया है, किंतु जो इस रिश्ते में बंधने से छूट जाते हैं मानो सौभाग्य उन्हें मित्र के रूप में हम से प्रेम की डोर से बाँध देता है। दिल के करीब मित्र हमारे मन की बात स्वतः समझ लेते हैं और हमेशा हित चाहते हैं चाहे कोई भी परिस्थिति हो।जैसा कि कहा गया है-
“मित्रता-उपकारफलं मित्रमपकारोऽरिलक्षणम् ॥”
अर्थात उपकार करना मित्रता का लक्षण है और अपकार करना शत्रुता का। आज के युग में सभी स्वार्थपूर्ति में लगे हुए नज़र आते हैं ऐसे में सच्ची मित्रता एक अनमोल उपहार की तरह मिलती है। हाँ, सच्चे और अच्छे मित्र मिलना मुश्किल जरूर है पर असम्भव नहीं। हम स्वयं किसी के प्रति सच्ची निष्ठा से मित्रता निभाते हैं तो अवश्य ही हमें भी सच्चे निःस्वार्थ मित्र मिलेंगे।
देखिए अच्छे लोगों या मित्रों का साथ कितना कुछ कर सकता है-
जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं , मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति । चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिं , सत्संगतिः कथय किं न करोति पुंसाम् ।।
अर्थात्: अच्छे मित्रों का साथ बुद्धि की जड़ता को हर लेता है ,वाणी में सत्य का संचार करता है, मान और उन्नति को बढ़ाता है और पाप से मुक्त करता है । चित्त को प्रसन्न करता है और ( हमारी )कीर्ति को सभी दिशाओं में फैलाता है ।(आप ही ) कहें कि सत्संगति मनुष्यों का कौन सा भला नहीं करती। सुख दुःख जीवन के दो पहलू हैं। सुख में तो सभी साथ देते हैं किंतु मित्र वही है जो दुःख में भी न केवल साथ देता है बल्कि उस दुःख से उबरने में हमारी मदद करता है। सन्तप्त मन को मित्र ही शीतलता प्रदान करता है यथा।
चन्दनं शीतलं लोके ,चन्दनादपि चन्द्रमाः । चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः ।।
अर्थात् : संसार में चन्दन को शीतल माना जाता है लेकिन चन्द्रमा चन्दन से भी शीतल होता है । अच्छे मित्रों का साथ चन्द्र और चन्दन दोनों की तुलना में अधिक शीतलता देने वाला होता है । मित्रता में प्रेम , विश्वास और सहयोग पानी में दूध की तरह मिले होते हैं। वे एक दूसरे के सामने खुली किताब होते हैं। मित्रों के लिए किसी मित्रता दिवस की अपेक्षा नहीं होती है। जब भी वे मिलते हैं, बात करते हैं तब तब ही उनके लिए मित्रता दिवस का उत्सव हो जाता है।