नयी दिल्ली | विमानों तथा हेलीकॉप्टरों की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार ने हवाई अड्डों और एयरोड्रमों के 10 किलोमीटर के दायरे में ‘आकाश दीप’ जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रस्ताव किया है।
देश के कई हिस्सों में विशेष मौकों पर पतंग या गुब्बारों के साथ बाँधकर मोमबत्ती, लैनटर्न आदि हवा में छोड़े जाते हैं जिन्हें आम तौर पर ‘आकाश दीप’ के नाम से जाना जाता है। अलग-अलग राज्यों में दिवाली, मकरसंक्रांति या नववर्ष पर आकाश दीप छोड़ने की परंपरा है। कई जगह ऐसी भी मान्यता है कि इससे मन्नत पूरी होती है। लेकिन, ये आकाश दीप पायलटों और एटीसी नियंत्रकों के लिए सिर दर्द बन जाते हैं, विशेषकर हवाई अड्डों के आसपास, जहाँ विमान कम ऊँचाई पर उड़ान भर रहे होते हैं|
कई हवाई अड्डों के आसपास स्थानीय स्तर पर आकाश दीप पर प्रतिबंध है। नागर विमानन मंत्रालय द्वारा एयरक्राफ्ट रूल्स, 1937 में संशोधन का एक प्रारूप जारी किया गया है ताकि हवाई अड्डों के पास आकाश दीप पर प्रतिबंध लगाया जा सके। प्रारूप के अनुसार, “भारत में किसी भी एयरोड्रम के 10 किलोमीटर के दायरे में कोई भी व्यक्ति लैनटर्न वाले पतंग या मन्नत पतंग नहीं छोड़ेगा।”संशोधन के प्रारूप पर आम लोगों तथा अन्य हितधारकों से 30 दिन के अंदर इस पर राय माँगी गयी है।