श्री कृष्ण के जन्म की पूरी कहानी – FULL STORY KRISHNA BIRTH :- नमस्कार दोस्तों भगवान श्री कृष्ण के जन्म को हम जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं एक बार धरती मां असुरों के पाप से बड़ी दुखी हुई कंस जैसे असुरों ने धरती मां को बड़ा परेशान किया पृथ्वी निगम का रूप बनाया और ब्रह्मा के पास गई आंखों में आंसू है और कहती है बेटा ब्रह्मा मेरे ऊपर पाप बढ़ा बढ़ गया है मैं बाप से दबी जा रही हूं आप कुछ करो
पृथ्वी की बात सुनकर ब्रह्मा जी बड़े दुखी हुए और भगवान विष्णु के पास सिर सागर में पहुंचे ब्रह्मा जी के साथ सारे देवता भी थे भगवान शिव भी थे सभी ने भगवान विष्णु की स्तुति की ब्रह्मा की देवताओं बात सुनने के बाद विष्णु ने कहा मैं जल्दी ही धरती पर देवकी और वसुदेव के पुत्र के रुप में जन्म लूंगा और मैं अकेला नहीं बल्कि जन्म मेरे साथ बलरामजी श्री राधा जी भी अवतार लेंगे।
कंस और देवकी:-
कंस की बहन देवकी की शादी वसुदेव से मंगल मुहूर्त में कर दी, देवकी कंस की चचेरी बहन है तो कंस का देवकी से बड़ा प्रेमी था। कंस का देवकी से विदा का समय आया रथ पर देवकी और वसुदेव दोनों विराजमान हैं मंगल गान गाया जा रहा है देवता फूलों की बारिश कर रहे हैं सबकी आंखों में आंसू थे आज भी रो रहे हैं क्योंकि कंस को सबसे ज्यादा प्रेम देवकी से था क्योंकि घर में सबसे छोटी थी, विदाई के समय कंस ने कहा मैंने अपनी बहन को इतना प्यार दिया क्या मैं उसके घर तक किसी नहीं छोड़ कर आ सकता कंस ने सारथी को उतारा और खुद घोड़ों की रस्सी पकड़ ली और खुद सारथी बनकर चल पड़े जब बीच राजपथ पर पहुंचे तो आकाशवाणी हुई और कंस को आवाज आई जिस बहन को तू इतनी लाड़-प्यार से विदा कर रहा है इसी का आठवां पुत्र तेरा काल बनेगा।
जैसे ही कंस ने सुना तो क्रोध में लाल होगया और तलवार निकाली और देवकी को मारने चल पड़ा वासुदेव ने कहा है जो भी जिस दिन पैदा होता है उसकी मौत का दिन भी तय हो जाता है, और कंस को समझाया इन सब में तुम्हारी बहन का कोई दोष नहीं है और वादा किया की मेरी जो भी संतान होगी मे तुम्हे सौंप दूंगा कंस ने वासुदेव की बात मान ली क्योकि वह जानता था वासुदेव ने अपने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला था।
कुछ समय बाद वादे के अनुसार वासुदेव ने अपनी संतान कंस को सोप दी और कंस ने उनकी हत्या कर दी इसी तरह बच्चों को मारता गया और अंत में भगवान शेषनाग श्री बलराम जी पधारे हैं और कहा की योग माया को आकर्षित करके रोहिणी मैया के घर में पहुंचा दो योग माया ने ऐसा ही किया रोहिणी के गर्भ में बलराम जी को पहुंचा दिया और नगर में हल्ला हो गया कि देवकी का सातवां गर्भ नष्ट हो गया तब कंस ने कहा की अच्छा हुआ जो मुझे इस बालक को मारना नहीं पड़ा खुद ही नष्ट हो गया बड़ा खुश हो रहा है अब देवकी के आठवा पुत्र का समय आया और कंस को विश्वास हो गया मुझे मारने वाला प्रकट होने वाला है इसलिए कारागार के आसपास पहरेदारों की संख्या बढ़ा दी चारों ओर चतुरंगिणी सेना लगा दी हाथी-घोड़े देवकी और वसुदेव के पैरों में बेड़ियां डाल दी।
कृष्ण का जन्म :-
देवताओं ने भगवान कृष्ण को संबोधन किया है बुधवार है चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश कर रहा है आकाश में तारों का प्रकाश है बादल गरज रहे हैं बिजली चमक रही है उमर में कमल के फूल खिल रहे हैं अग्नि कुंड में अग्नि प्रज्जवलित हो गई है बारिश हो रही है आधी रात का समय है और वह समय आ चुका है देवकी और वसुदेव के हाथ पैरों की बेड़ियां खुल गई है वसुदेव,
श्री कृष्ण ने चतुर्भुज रूप में अवतार लिया है देवकी और वसुदेव ने भगवान को देखा और इसकी स्थिति की है देवकी ने कहा प्रभु यह क्या है भगवान बोले मैया आज में प्रकट हुआ आपको अच्छा नहीं लगा देवकी ने कहा प्रभु अच्छा कैसे नहीं लगेगा दर्शनीय अब बड़े हो चार हाथ लेकर आए हो बालक की तरह छोटे बच्चे बन जाओ तब श्री कृष्ण ने छोटे बच्चे का रूप लिया और देवकी की गोदी में बैठ गए।
श्री कृष्ण ने वासुदेव को प्रेरित किया कि मैं उन्हें टोकरी में रखकर बाहर की तरफ ले जाएं और रोहिणीी को कहां देवकी के गर्भ में समा जाए तभी जेल के सारे द्वार खुल गए हैं वासुदेव के हाथ पैर की हथकड़ियां भी खुल गए और सारे कैदी अपने आप ही बेहोश हो गए तब वासुदेव कृष्ण को टोकरी मैं रखकर बाहर निकलें और यमुना नदी पर पहुंचे उसके बाद उन्होंने यमुना नदी पार करी और सर कृष्ण यशोदा मैया को प्राप्त हुए और उसके बाद से ही उन्होंने कई लीलाएं की और कंस का वध भी किया और महाभारत को अंजाम दिया।