सबगुरु न्यूज। विकास दुबे की गिरफ्तारी उज्जैन में जितनी नाटकीय हुई है उससे अधिक उसका मारा जाना भी उतना ही नाटकीय रहा। कुख्यात विकास दुबे का एनकाउंटर अभी यूपी में कई दिनों तक राजनीतिक गलियारों में सुर्खियों में रहने वाला है। पूछताछ में विकास दुबे ने पुलिस को ऐसा क्या बता दिया? जिससे योगी सरकार और पुलिस महकमे के आला अधिकारियों को उसकी एनकाउंटर की पटकथा लिखने के लिए कहा गया।
इस कुख्यात अपराधी विकास दुबे का खात्मा इतना अधिक सीक्रेट रखा गया कि छोटे स्तर के पुलिस अधिकारियों को भी इसकी सूचना नहीं दी गई थी। विकास से पूछताछ करते करते गुरुवार शाम हो जाती है। शाम होते-होते यूपी एसटीएफ की टीम उज्जैन पहुंची और ट्रांजिट के लिए उसे कानपुर लाया गया। शाम लगभग 8 बजे एसटीएफ की टीम विकास को लेकर कानपुर के लिए रवाना हो जाती हैं।
एनकाउंटर करने की रात में कर ली थी तैयारी
जब मध्य प्रदेश सीमा से विकास दुबे को एसटीएफ की टीम रवाना हुई तब मीडिया कर्मियों की गाड़ी भी उनके साथ थी। रास्ते में ही एसटीएफ को आदेश मिल चुके थे कि एनकाउंटर करना है। उसके बाद मीडियाकर्मियों को एसटीएफ ने पीछे रुक जाने के लिए कहा लेकिन वह नहीं माने। उरई और कानपुर देहात तक मीडिया कर्मियों की गाड़ी साथ चलती रही। जैसे ही एसटीएफ गाड़ी विकास दुबे में लेकर कानपुर सीमा पर पहुंची उधर आन एसटीएफ ने मीडिया कर्मियों की गाड़ी को रोक दिया। उसके बाद एसटीएफ ने विकास दुबे की गाड़ी को सड़क के किनारे पलट दिया, उसके बाद एनकाउंटर।
घटना के बाद एसटीएफ ने बताया कि गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने भागने का प्रयास किया। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वह घायल हो गया, उसे अस्पताल भेजा गया है। इसके थोड़ी देर बाद सूचना आती है कि अस्पताल में डॉक्टरों ने विकास को मृत घोषित कर दिया। इसी के साथ पुलिस के एनकाउंटर पर तमाम सवाल उठ खड़े हुए हैं। विकास के एनकाउंटर के बाद कानपुर के एसएसपी दिनेश कुमार और उत्तर प्रदेश के एडीजी प्रशांत कुमार मीडिया के पूछे गए विकास दुबे के एनकाउंटर के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे थे, एडीजी प्रशांत कुमार सवालों का जवाब देते हुए कई बार अटक भी रहे थे।
विकास का एक पैर खराब होनेे की वजह सेेे वह पुलिस की पिस्टल लेकर भाग नहीं सकता था?
पुलिस के मुताबिक, विकास दुबे गाड़ी में एसटीएफ से हथियार छीन कर भागा और जवाबी कार्रवाई में मारा गया, बात गले नहीं उतरती है। यहां हम आपको बता दें कि विकास का एक पैर पहले ही खराब है इसलिए वह भाग नहीं सकता था ? इसके अलावा भी कई सवाल ऐसे हैं जो बयां कर रहे हैं कि यह एनकाउंटर रात में ही प्लान किया गया था। कानपुर सीमा में विकास वाली गाड़ी का ही एक्सीडेंट क्यों हुआ ?
खुद सरेंडर करने वाला विकास दुबे क्यों एक हथियार लेकर भागने की कोशिश करेगा? क्या विकास को हथकड़ी नहीं लगाई गई थी? न बरती गई सावधानी। आखिर कानपुर आकर ही क्यों भागने लगा था विकास दुबे। क्या मुठभेड़ में सीने पर गोली मारी जाती है? क्या पुलिस का मकसद उसे रोकना नहीं, जान से मारना था। इस पूरे एनकाउंटर के बारे में पुलिस और एसटीएफ के अधिकारी और जवान बोलने से क्यों बचते रहे? घटनास्थल पर फॉरेंसिक टीम को भेज आता है। यह टीम जल्दी-जल्दी अपनी खानापूरी करते हुए वापस लौट जाती है।
विपक्षी दलों के नेताओं ने इस एनकाउंटर पर योगी सरकार को घेरा
इस एनकाउंटर पर सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि ये कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई है। मायावती ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जांच की मांग की है। विकास दुबे के एनकाउंटर पर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको संरक्षण देने वाले लोगों का क्या?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने विकास दुबे एनकाउंटर को लेकर कहा, ‘ जिसका शक था वह हो गया। विकास दुबे का किन किन राजनैतिक लोगों से, पुलिस व अन्य शासकीय अधिकारियों से उसका संपर्क था, अब उजागर नहीं हो पाएगा। कांग्रेस के नेता राज बब्बर ने ट्वीट कर कहा, ‘अपराधियों के पकड़े जाने के बाद उन्हें अदालती प्रक्रिया तक नहीं पहुंचा पाना पूरी व्यवस्था को सवालों के घेरे में खड़ा करता है। शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेज प्रताप यादव ने कहा कि सरकार को पलटने से बचाने के लिए कार का पलटना जरूरी था।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार