निर्जला एकादशी का सभी ने नाम सुना होगा लेकिन निर्जला एकादशी की कथा के बारे में आप में से बहुत ही कम लोग जानते हैं आज किस पोस्ट में आपको निर्जला एकादशी की कथा के बारे में ही बताया जाएगा।
निर्जला एकादशी की पूरी कहानी
एक बार बहुभोजी भीमसेन ने व्यासजीके मुख से प्रत्येक एकादशी को निराहार रहने का नियम सुनकर विनम्र भाव से निवेदन किया कि ‘महाराज! मुझसे कोई व्रत नहीं किया जाता। दिन भर बड़ी तीव्र क्षुधा बनी ही रहती है। अतः आप कोई ऐसा उपाय बताइए जिसके प्रभाव से स्वत: सद्गति हो जाए। तब व्यासजी ने कहा कि ‘तुमसे वर्षभर की सम्पूर्ण एकादशी नहीं हो सकती तो केवल एक निर्जला कर लो, इसीसे सालभर की एकादशी करने के समान फल हो जाएगा। तब भीम ने वैसा ही किया और स्वर्ग को गए। इसलिए यह एकादशी भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है।