Patni – मैं अपने पुराने कपड़े किसी को दान कर दूं क्या ?
Pati – नहीं फेंक दे, क्या दान करना..
Patni- नहीं जी, दुनिया में बहुत सी गरीब और भूखी प्यासी औरते हैं, किसी के काम आ जाएंगे
Pati- तेरे साइज के कपड़े जिसे आ जाएंगे वह क्या भूखी प्यासी होगी
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ससुर (दामाद से): अनमोल, हीरे जैसी , करोडो की बेटी दी है तुम्हें मैंने।
दामाद: रहने दीजिए…
अब ये बताइए कि कितने में वापस लेंगे..?
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कुछ बच्चे सड़क पर अपने पटाखे जला रहे थे..
अभी एक पटाखे में चिंगारी लगाई ही थी की सामने से एक आंटी आती दिखी . .
सब चिल्लाने लगे …
आंटी पटाखा है …
आंटी पटाखा है …
आंटी पटाखा है …
आंटी मुस्कराई और बोली :
नहीं रे पगलो, अब पहले जैसी बात कहां।।। 😛
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बुरा ना मानो होली है कह कर,
मेरे पडोसी ने मुझ पर रंग फेंका था ।
कल मै भी बुरा ना मानो दिवाली है कह के,
उस पर बम फेक दूंगा।
फिर सारा मोहल्ला रात भर मुझे ढूंढेगा!
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एक फ्लैट में घंटी बजती है और महिला जो घर में अकेली है दरवाज़ा खोलती है …
भिक्षुक:
“माई, भिक्षा दे।”
महिला:
“ले लो, महाराज ..”
भिक्षुक:
“माई … ज़रा यह द्वार पार करके बाहर तो आना।”
वह द्वार पार करके बाहर आती है।
भिक्षुक (उसे पकड़ते हुए ):
“हा .. हा … हा … मैं भिक्षुक नहीं, रावण हूं !”
महिला:
“हा .. हा .. हा … मैं भी सीता नहीं, कामवाली बाई हूँ।”
रावण :
“हा..हा..हा.. सीता का अपहरण करके आज तक पछता रहा हूं,
तुम्हें ले जाऊंगा तो मंदोदरी खुश हो जायेगी। मुझे भी कामवाली बाई की ही ज़रूरत है …”
महिला :
“हा, हा, हा … सीता को ढूंढने सिर्फ राम आऐ थे …
मुझे ले जाओगे तो सारी बिल्डिंग ढूंढते पहुंच जाएगी।”
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जज साहब की असीम कृपा है कि पटाखों पर बैन दशहरा से पहले नहीं लगाया है ,
नही तो इस बार रावण को गला घोंट के मारना पड़ता..
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अभी तक पूजा के मुहूर्त निकला करते थे
इस साल पटाखे फोड़ने का मुहूर्त निकला है :
समय – 8 से 10
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भाई लोग कोर्ट के फैसले का सम्मान करें
पटाखे 10 बजे तक ही फोड़े
और अगर पटाखे बच जाए तो 10 बजे के बाद पटाखों को नष्ट करने हेतु उसमें आग लगा दे