नई दिल्ली। पाकिस्तान और चीन की सीमाओं से लगते क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से सभी तरह के रणक्षेत्रों में अपनी तैयारियों को परखने के लिए अभ्यास में जुटी वायु सेना ने थल सेना की छाताधारी ब्रिगेड के साथ मिलकर दुश्मन को अपने रणकौशल से रेगिस्तानी रणक्षेत्र में घेरकर चारों खाने चित करने के दुस्साहिक अभियान को अंजाम दिया है।
वायु सेना 11 अप्रेल से ‘गगन शक्ति 2018’ अभ्यास में लगी है जिसमें पहली बार उसने थल सेना तथा नौसेना को भी शामिल किया है। लगभग दो सप्ताह तक चलने वाले इस महाअभ्यास में कल शाम वायु सेना ने एक संयुक्त अभियान में सेना के छाताधारी कमांडो को हवाई मार्ग से सीधे रेगिस्तानी रणक्षेत्र में उतारा।
अभियान में वायु सेना के 6 सी-130 हरक्युलिस तथा 7 ए एन-32 विमानों ने 560 कमांडो , बख्तरबंद हथियारों और जीपीएस निर्देशित कार्गो प्लेटफार्म को दुश्मन की नजर से बचते हुए लड़ाई के मैदान पर उतारा।
इन विमानों ने वायु सेना के अलग अलग ठिकानों से उडान भरी। इस दौरान अत्याधुनिक रडारों से लैस अवाक्स प्रणाली से हवाई क्षेत्र की निगरानी की गई और एक लड़ाकू विमान सुखोई -30 ने इन्हें कवर प्रदान किया।
हवाई मार्गों से चलाये जाने वाले अभियानों में कमांडों, उपकरणों और रसद को सीधे रणक्षेत्र में उतारा जाता है जिससे दुश्मन को आगे बढने से रोका जा सके और उसे जल्द से नेस्तनाबूद किया जा सके। ये अभियान सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर लड़ाकू विमानों के कवर के बीच चलाए जाते हैं।
इन अभियानों में रणक्षेत्र में मौजूद जवानों की जरूरत की चीजों को भी पहुंचाया जाता है। कमांडो का पहला काम दुश्मन के संचार नेटवर्क और अन्य ढांचागत संरचरनाओं को ध्वस्त कर उनके हमले की धार को कम करना होता है।
वायु सेना के अनुसार कल के अभ्यास में वायु सेना और नौसेना ने अपनी बहुआयामी क्षमता का परिचय देते हुए सभी चुनौतियों से पार पाते हुए दुश्मन को घेरकर अपने मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
कल ही उत्तरी सेक्टर में विमानों ने बडी संख्या में हताहतों को जल्द से जल्द बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के अभ्यास के दौरान 88 हताहतों को लेह से उठाकर सी- 17 विमान के जरिये चंडीगढ पहुंचाया जहां उन्हें तुरंत कमान अस्पाल पहुंचाया गया। इसके लिए विमान में स्ट्रेचर को फिक्स करने की विशेष व्यवस्था की गई थी।
साथ ही घायलों को विमान में ही महत्वपूर्ण चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए पेशंट ट्रांसफर यूनिट बनाई गई थी। इस सफल मिशन से वायु सेना ने युद्ध के दौरान या आपदा के समय कम समय में हताहतों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने की अपनी क्षमता का परिचय दिया।
अभ्यास के दौरान सभी तरह के क्षेत्रों रेगिस्तान, अत्यधिक ऊंचाई वाले पर्वतीय इलाकों और समुद्री क्षेत्र में लड़ाई की स्थिति में वायु सेना अपनी तैयारियों को पुख्ता कर रही है। इसका उद्देश्य किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए ‘शॉर्ट नोटिस’ पर तैयार रहने का अभ्यास करना है।
दिन रात चलने वाले इस अभ्यास में उसने अपने सभी संसाधनों को झौंक रखा है और उसके सभी तरह के लड़ाकू और मालवाहक विमान, हेलिकॉप्टर तथा ड्रोन विमानों को मिलाकर लगभग 1100 विमान अपने रण कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं।
ये विमान अभ्यास के दौरान युद्ध की वास्तविक स्थिति में दिन-रात लगभग पूरे देश की हवाई सीमा तथा समुद्री क्षेत्र के उपर 3 से 4 हजार उड़ान भरेंगे। अभ्यास में वायुसेना के 3000 अफसर और 15000 वायु सैनिक हिस्सा लेंगे, जो लंबे समय से इसकी तैयारियों में जुटे हैं।