नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने गांधी परिवार के सदस्यों सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की सुरक्षा में लगे विशेष सुरक्षा दल को हटाने का निर्णय लिया है और अब उन्हें केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के कमांडों की निगरानी में जैड प्लस सुरक्षा दी जायेगी।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने आज यहां बताया कि गांधी परिवार के सदस्यों की सुरक्षा व्यवस्था और उनकी जान को खतरे की समीक्षा के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। सुरक्षा और खुफिया एजेन्सियों से भी इस बारे में जानकारी हासिल की गई है। समीक्षा में इस बात पर भी गौर किया गया कि गांधी परिवार को अभी किसी तरह का सीधा खतरा नहीं है।
उन्होंने बताया कि अब गांधी परिवार के सदस्यों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ के कमांडो दस्ते को सौंपी जाएगी और उन्हें जैड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की प्रधानमंत्री रहते हुए हत्या की गई थी।
एसपीजी का गठन प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिए विशेष बल के तौर पर किया गया था। एसपीजी में लगभग 3000 अधिकारी हैं। इस निर्णय के लागू होने के बाद एसपीजी के पास संभवत केवल प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी बच जाएगी। गृह मंत्रालय ने हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा वापस लेकर उन्हें जैड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी थी।
सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने पिछले अनेक मौकों पर एसपीजी सुरक्षा व्यवस्था की अवेहलना करते हुए बुलेट प्रुफ वाहनों का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के वाक्ये लगभग एक हजार से भी ज्यादा बार हुए। गांधी ने दिल्ली से बाहर भी एसपीजी के नियमों की अनदेखी की। विदेश यात्राओं के दौरान भी कई बार राहुल गांधी एसपीजी अधिकारियों को अपने साथ लेकर नहीं गए।
उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने भी कई मौकों पर एसपीजी वाहनों का इस्तेमाल नहीं किया। वह भी कुछ विदेशी दौरों पर बिना एजपीजी अधिकारियों के ही गई। प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कई मौकों पर एसपीजी की सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बताते हुए सफर किया।
उधर, कांग्रेस ने गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटाने पर तीखी प्रतिक्रिया करते हुए कहा है कि सरकार उस परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के साथ समझौता कर रही है जिसके दो सदस्यों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की आतंकवाद और हिंसा के चलते हत्या की गई। ये दोनों देश के प्रधानमंत्री थे। युवक कांग्रेस के सदस्यों ने इसके विरोध में शाम को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने इसे बदले की राजनीति के तहत उठाया गया कदम करार दिया।
इस बीच भाजपा ने कहा है कि सरकार ने यह कदम सुरक्षा एजेन्सियों की समीक्षा के आधार पर उठाया है। एसपीजी का गठन 1988 में संसद के एक अधिनियम के जरिये किया गया था। उसे मौजूदा प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। इस अधिनियम में यह प्रावधान किया गया था कि पूर्व प्रधानमंत्रियों को पद छोड़ने के दस वर्ष बाद तक यह सुरक्षा व्यवस्था दी जाएगी।