जयपुर। जाने माने गांधीवादी विचारक डॉ. एस एन सुब्बाराव का आज सुबह यहां निधन हो गया। डा सुब्बाराव ने सुबह करीब पौने सात बजे जयपुर के एसएमएस अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह करीब 93 वर्ष के थे। उन्हें पिछले सप्ताह ही एसएमएस में भर्ती कराया था। सुब्बाराव के पार्थिव शरीर को विनोबा ज्ञान मंदिर में अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया।
पद्मश्री से सम्मानित डॉ. सुब्बाराव को 1995 में राष्ट्रीय युवा परियोजना को राष्ट्रीय युवा पुरस्कार, 2003 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार, 2006 में 03 जमानालाल बजाज पुरस्कार, 2014 में कर्नाटक सरकार की ओर से महात्मा गांधी प्रेरणा सेवा पुरस्कार और नागपुर में 2014 में ही राष्ट्रीय सदभावना एकता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उनके निधन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि वयोवृद्ध गांधीवादी, पद्मश्री, भाईजी डॉ. एस एन सुब्बाराव के निधन पर मैं व्यक्तिगत रूप से व्यथित हूं, वह पिछले 70 वर्षों से देश के युवाओं से जुड़े हुए थे और अपने शिविरों के माध्यम से उन्हें लगातार प्रेरित करते रहे। एक गांधीवादी विचारक और प्रेरक, वह राष्ट्र के लिए एक संपत्ति थे। उनका निधन एक अपूरणीय क्षति है।
उन्होंने कहा कि भाईजी ने जीवन भर युवाओं के लिए जागरूकता अभियान जारी रखा। उन्होंने विदेश जाकर युवा पीढ़ी को हमारे देश, हमारी संस्कृति से अवगत कराया। उन्होंने उन्हें अनेकता में एकता का संदेश दिया। उनके शिविरों में जाकर मुझे हमेशा शांति का अनुभव हुआ।
गहलोत ने कहा कि उनकी कविताएं और विचार हमें प्रेरित करते रहेंगे। उन्होंने ईश्वर से उनके साथियों और अनुयायियों को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करने एवं दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने की प्रार्थना की। श्री गहलोत मंगलवार शाम को अस्पताल जाकर डा सुब्बाराव की कुशलक्षेम भी पूछी थी।
सुब्बाराव का अंतिम संस्कार मुरैना के गांधी सेवा आश्रम
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के जौरा स्थित गांधी सेवा आश्रम में प्रख्यात गांधीवादी विचारक डॉ एसएन सुब्बाराव का अंतिम संस्कार गुरुवार को किया जाएगा। दिवंगत डाॅ सुब्बाराव का पार्थिव शरीर आज जयपुर से सड़क मार्ग द्वारा यहां लाया जा रहा है। गुरुवार सुबह से शाम चार बजे तक आश्रम में उनके पार्थिक देह को अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा और उनका अंतिम संस्कार शाम को गांधी सेवा आश्रम परिसर में किया जाएगा।
उनके निधन की खबर सुनते ही उनकी कर्मस्थली चंबल घाटी में शोक की लहर फैल गई। उनके अंतिम दर्शनों के लिये आज सुबह से ही आश्रम में भारी भीड़ उमड़ पड़ी है।डॉ. सुब्बाराव को देश और दुनियां भले ही गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव के रूप में जानती है, लेकिन चंबल अंचल में वह भाई जी के नाम से जाने जाते हैं।
युवावस्था में अपने जीवन की तमाम महत्वाकांक्षाओं को भूलकर उन्होंने चंबल के विकास के लिए जो श्रम किया है वह सचमुच वंदनीय है। खासकर 70 के दशक में अशांत चंबल में शांति स्थापना के लिए वह और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए बागी समर्पण और उसके बाद अंचल के विकास के लिये लोगों में श्रम संस्कारों के रोपण के लिए चंबल का कण-कण भाई जी का ऋणी है।
अदभुत व्यक्तित्व के धनी एवं समाज के लिए हमेशा कुछ न कुछ करने की लगन के कारण भाई जी को एक संत माना जाता है। डॉ. राव ने हिंसा को ही अपना धर्म मानने वाले बागियों को गांधीवाद के मंत्र से दीक्षित किया। इससे चंबल में नए दौर की तरफ एक नई करवट ली।
चंबल के हिंसक को बदलने के लिए सन् 1972 में डॉ सुब्बाराव के लिखी गई सामूहिक 672 बागी समर्पण की कहानी ने अंचल की तकदीर बदल दी। उन्होंने मुरैना जिले के एक छोटे से कस्बे को देश ही नहीं विश्व क्षितिज पर पहचान दिलाई।
बीहड़ों में डेरा डाले हिंसक बागियों के सामूहिक हृदय परिवर्तन को सुब्बाराव ने जिस सफलतापूर्वक संपन्न कराया यह सचमुच अविश्वसनीय प्रतीत होता है। वास्तव में ‘भाई जी’ की जन्म स्थल दक्षिण का कर्नाटक राज्य है। उन्होंने अपना भरापूरा परिवार, जीवन की महत्वाकांक्षाएं सब कुछ छोड़ दिया। वे हमेशा चंबल के होकर रह गए।
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने प्रख्यात गांधीवादी विचारक एवं समाज सेवक डॉ एसएन सुब्बाराव के निधन पर शोक व्यक्त किया है। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रसिद्ध गांधीवादी डॉ सुब्बाराव के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
इन जननेताओं ने कहा कि ईश्वर से दिवंगत पुण्य आत्मा की शांति और उनके अनुयायियों को यह गहन दुख सहने का आत्मबल प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।