सबगुरु न्यूज। विशाल शरीर और हाथी के मस्तक को धारण कर अपनी विशेषता को सबसे अलग रखने वाले उस स्वरूप को गजानन कहा गया है जो निर्भय होकर रक्षा करते हैं और किसी भी संकट की चुनौती को स्वीकार कर उसे परास्त करने की शक्ति रखते हैं तथा सभी कार्यों में आने वाले विध्नों का नाश कर मंगल अर्थात शुभता प्रदान करते हैं।
ऐसे मंगलकारी स्वरूप को सबसे पहले प्रसन्न किया जाता है और निमंत्रण देकर हर कार्य में सफलता के लिए पूजा जाता है। उस गजानन को हम सिर के बल पर प्रणाम करते हैं।
हाथी के मस्तक को धारण करने वाले गजानन जो अपनी माता की रक्षा करने के लिए अपने पिता का भी विरोध कर मर मिटते हैं और पिता भी उनके इस कर्तव्य से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी गोद में बैठाकर लाड प्यार करते हैं तथा अपनी पत्नी के बाद पहला स्थान देते हैं। उसी के कारण वे प्रथम पूजनीय बन कर दुनिया मे अपनी पहचान रखते हैं ऐसे गजानन को हम सर्व प्रथम प्रणाम करते हैं और हमारी शुभता की कामना करते हैं।
विशाल तन होने के बाद भी वह चूहे जैसे छोटे से प्राणी को अपना वाहन बनाकर उसे महत्वता प्रदान कर चूहे की शक्ति का भान कराते हैं कि यह छोटा माने जाने वाला प्राणी भी जमीन खोद कर सब को जमीदोज कर सकता है। अपने बिल में जहरीले सापों को बचने के लिए सुरक्षा देता है और चूहे के बिल सांप की बांबी कहलाने लग जाती है। ऐसे विशाल तन और हाथी के मस्तक को धारण करने वाले गजानन को हम प्रणाम करते हैं।
भादवे के मास में बढ़ती हुई फसलों की रक्षा तथा उनसे प्राप्त होने वाले अन्न से धन व रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति के लिए उस गजानन से बाहरी और आकाशीय विपदाओं से रक्षा करने तथा जमीन को चूहे खोदकर फसलों को नष्ट न करे की कामना करते हैं और उनके इस स्वरूप को प्रणाम करते हैं।
भादवे के मास में शुक्ल चतुर्थी का चन्द्रमा अपनी उन्नीसवीं कला पर हो जाता है और पूर्णता की ओर बढता हुआ सूर्य को कन्या राशि में जाने के संकेत देकर यह संदेश देता है कि अब फसलों व शरीर मे कोई रोग उत्पन्न ना हो जाए उस से सावधान होने के संकेत देता है और मंगल प्रदान करने वाले मंगल मूर्ति गजानन को सबसे पहले मनाता है।
सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर