सबगुरु न्यूज। गणेश चतुर्थी जगतभर के विघ्नहर्ता भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। लेकिन आज रात आप सावधान रहें और भूलकर भी आसमान में चतुर्थी का चांद देखने की गलती न करें।
मान्यता है कि गणेश चतुर्थी की रात चांद देखने से कलंक लगने का डर रहता है। वैसे तो सभी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चांद देखने की मनाही है, लेकिन खास तौर पर भाद्र शुक्ल चतुर्थी को इसे देखना बिल्कुल वर्जित रहता है। इसीलिए इस चतुर्थी को कलंकी चतुर्थी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि खुद भगवान श्रीकृष्ण भी इस वजह से कलंक से नहीं बच पाए थे। उन पर स्यमंतक मणि की चोरी का आरोप लगा था।
इस तरह कर सकते हैं चन्द्र दर्शन
भाद्रपद शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा बहुत ही सुन्दर होता है। अगर इसे देखने की चाहत है तो संध्या के समय हाथ में फल अथवा दही लेकर चन्द्रमा का दर्शन करें। ऐसा करने पर चन्द्रमा को देखने से कलंक नहीं लगता है। एक अन्य विधि यह है कि पूरे भाद्रपद मास में हर दिन चन्द्रमा को देखें। जो नियमित चन्द्रमा का दर्शन करता है, वह श्राप के अशुभ प्रभाव से बचा रहता है।
क्यों नहीं देखा जाता आज का चांद
पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन चंद्रमा को अपने सौंदर्य का अभिमान हुआ। इसी अभिमान के वशीभूत उसने गणेश जी का अपमान कर दिया। इससे गणेश जी नाराज हो गए और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दिया कि आज से तुम काले हो जाओ और जो भी आज के दिन तुम्हारा मुख देखेगा, वह भी कलंक का पात्र होगा।
गणेश जी के श्राप से चन्द्रमा दुःखी हो गए और घर में छुप कर बैठ गए। चन्द्रमा की दुःखद स्थिति को देखकर देवताओं ने चन्द्रमा को सलाह दिया कि मोदक एवं पकवानों से गणेश जी की पूजा करने से शाप से मुक्ति मिलेगी।
चन्द्रमा ने ऐसा ही किया। उसने गणेश जी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया। तब गणेश जी ने कहा कि उन्हें माफ कर दिया लेकिन यह भी कहा कि श्राप पूरी तरह समाप्त नहीं होगा ताकि अपनी गलती चन्द्रमा को याद रहे।
दुनिया को भी यह ज्ञान मिले की किसी के रूप-रंग को देखकर हंसी नहीं उड़ानी चाहिए। इसलिए अब से केवल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन जो भी चन्द्रमा को देखेगा उसे झूठा कलंक लगेगा।
यह है कलंक से बचने का उपाय
मान्यता है कि किसी ने गलती से चतुर्थी का चांद देख लिया है तो कलंक से बचने के लिए अष्टमी के दिन श्रीगणेश का बारह नामों से पूजन किया जाए। इससे गणेश जी उसकी कलंक से रक्षा करते हैं।
ये हैं गणेश जी के 12 नाम
1- वक्रतुंड
2- एकदंत
3- कृष्णपिंगाक्ष
4- गजवक्त्र
5- लंबोदर
6- विकट
7- विघ्नराजेन्द्र
8- धूम्रवर्ण
9- भालचंद्र
10-विनायक
11- गणपति
12- गजानन।